110. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का सबसे उचित विकल्प चुनिए–
बचपन में मेलों में जाने की अजीब उमंग थी, उछाह था। साथ में देख-रेख के लिए लोग जाते थे, पर मन में यही होता था कि कब उनको झाँसा देखकर निकल जाएँ और अपने हम उम्र साथियों के साथ स्वतंत्र विचरें, अपार सागर में उमंग की छोटी-सी नाव लेकर खो जाने का भय हो और उस भय में भी एक न्योता हो कि खोकर देखें कि खोना कैसा होता हे। घर में लुका-छिपी के खेल में छिपना मुश्किल होता है, कहीं ओट नहीं मिलती है और भीड़ से बड़ी कोई ओट नहीं होती है, भीड़ से बड़ा कोई भय भी नहीं होता। अपने आदमी भी भीड़ में पराये हो जाते हैं। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि भीड़ में आदमी गिर जाता है तो कोई अपना ही कुचल कर चल देता है, क्योंकि उस समय वह आदमी होता ही नहीं, भीड़ होती है। भीड़ कई प्रकार की होती है। एक भीड़ होती है रेल यात्रा के समय आदमी स्थान के लिए रगड़ता-झगड़ता है, फिर थोड़ी ही देर में जाने कितने जमांतर का परिचय जग जाता है, बिछड़ते हुए भावुक हो जाता है। एक भीड़ होती है ऐसे जुलूस की जिसमें उमंग ही उमंग होती है, एक उमंग दूसरी के लिए एक प्रेरक होती है, वह भीड़ अब स्वाधीन भारत में नहीं दिखाई पड़ती। ऐसे भी जुलूस होते हैं जहाँ भीड़, भाड़े के आदमियों की होती है, जिन्हें पता ही नहीं होता कि हम किसलिए जुलूस में शरीक हैं। वहाँ बुलवाये गए नारे होते हैं, मन में वादा की गई धनराशि की चिंता होती है। वहाँ उमंग नहीं होती, उमंग का परिहास होता है। इन जुलूसों की भीड़ से बिल्कुल अलग एक भीड़ होती है जो मंदिरों में दर्शन के लिए जाती है, जो दर्शन की इच्छा से जाती है और जुलूस की नियंत्रित भीड़ से अधिक संयत और शांत होती है, आरती के समय अपने ढंग से ध्यानस्थ होती है। इन सबसे अलग है मेले की भीड़। कुछ उचक्के लोगों का अपवाद छोड़कर यह राग-रंग की उत्सुकता का महासागर होती है। कितने राग मिलते हैं, एक-दूसरे में घुलते हैं, कितने रंग मिलकर मेले की रंगत बनते हैं। प्रयाग के माघ मेले में किन-किन प्रदेशों के यात्रा गीत अलग-अलग धुनों में गूँजते हैं और सबकी एक अनुगूँज पूरे मेले को तरंगित करती रहती है। गाँव के मेले में भी यही होता था। किसी की पहचान खोती नहीं थी, लेकिन सबकी पहचान मिलकर एक मेले की पहचान बन जाती थी।
गद्यांश में आए ‘वादा’ शब्द का बहुवचन निम्नलिखित में से होगा–
Solution
‘वादा’ शब्द का बहुवचन होगा– वादे।
बहुवचन– संज्ञा के जिस रूप के द्वारा दो या दो से अधिक संख्याओं का बोध हो, बहुवचन कहलाता है; जैसे– पुस्तकें, तोतें, लड़कियाँ, पेंसिलें, गायें, बकरियाँ इत्यादि।
सदैव बहुवचन में प्रयुक्त शब्द– अक्षत, आँसू, होश, हस्ताक्षर, रोम, बाल, समाचार, दाम, प्राण, हाल-चाल, भाग्य, दर्शन, लोग, आप, हालात, नेत्र, तेवर, कदम, होंठ, हिज्जे, केश इत्यादि।