REET LEVEL 2 गणित & विज्ञान कृषि प्रबंधन, प्राकृतिक विज्ञान, जैव विकास | REET LEVEL 2 nd 2025 | विज्ञान (Science) | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 26, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /20 31 1234567891011121314151617181920 कृषि प्रबंधन, प्राकृतिक विज्ञान, जैव विकास | REET LEVEL 2 nd 2025 | विज्ञान (Science) | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 20 1. निम्नलिखित में से जायद फसल का उदाहरण नहीं है- मूँग टमाटर सूरजमुखी आलू Solution इसे ग्रीष्म ऋतु की फसल कहते हैं। इसे फरवरी-मार्च में बोते हैं। इन फसलों को व्यापारिक फसलें कहते हैं। जायद फसलों के उदाहरण कद्दू, खरबूजा, तरबूज, लौकी, तुरई, मूंग, खीरा, टमाटर, मिर्च, सुरजमुखी, कस्तूरी आदि। 2 / 20 2. मृदा प्रबंधन विधियों में शामिल है- जीरो फॉर्मिंग फसल चक्रीकरण मल्चिंग उपर्युक्त सभी Solution मृदा संरक्षण का अभ्यास करके, मृदा कटाव को कम करते हैं और मृदा स्थिरीकरण को बढ़ाते हैं। मृदा प्रबंधन विधियों– जीरो फॉर्मिंग, फसल चक्रीकरण, मल्चिंग 3 / 20 3. अनेक कशेरुकियों के अग्रपाद की अस्थि संरचना में समानता किसका उदाहरण है? अभिसारी विकास समरूपता समजातता अनुकूली विकरण Solution · अनेक कशेरुकी जीवों के अग्रपाद की अस्थि संरचना में समानता, समजातता का उदाहरण है। समानता अंगों की आधारभूत संरचना समान होती है, लेकिन ये अलग–अलग कार्य करते हैं; जैसे–मानव, चमगाइड़, कबूतर, चीता एवं व्हेल के अग्रपाद। · समरूप अंग अभिसारी विकास प्रदर्शित करते हैं। इन अंगों का कार्य समान होता है, लेकिन इनकी संरचनात्मक आकृति और उत्पत्ति अलग होती है। समान पूर्वज से भिन्न–भिन्न क्रियात्मक संरचनाओं का विकास अनुकूली विकिरण कहलाता है। 4 / 20 4. नव-डार्विनवाद का मुख्य आधार है- जीवन संघर्ष विभिन्नता योग्यतम की उत्तरजीविता जीनवाद Solution नव डार्विनवाद उत्परिवर्तन के साथ डार्विन के सिद्धांत के विस्तार का परिणाम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उत्परिवर्तन आनुवांशिक भिन्नता उत्पन्न करता है, इस प्रकार उत्परिवर्तन विकास का एक प्रमुख कारक है। 5 / 20 5. पुस्तक दि ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज किसने लिखी है? लिनिअस लैमार्क मेण्डल डार्विन Solution ‘दि ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज’ पुस्तक डार्विन द्वारा लिखी गई है। चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) इंग्लैंड के जैव विकासविद् थे। इनके द्वारा प्रस्तुत विकासवाद को डार्विनवाद या प्राकृतिक वरणवाद (Theory of Natural Selection) कहते हैं। 6 / 20 6. जीवन की उत्पत्ति का आधुनिक सिद्धान्त किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया था? मिलर डार्विन खुराना ओपैरिन Solution जीवन की उत्पतति का आधुनिक सिद्धान्त रूस के ओपेरिन और इंग्लैण्ड के हाल्डेन द्वारा प्रस्तावित किया गया था कि जीवन का पहला रूप पहले से मौजूद गैर जीवित कार्बनिक अणुओं से आ सकता है। अमेरिकी वैज्ञानिक मिलर ने इसे 800°C पर CH4, H2, NH3 और जलवाष्प युक्त एक बन्द फ्लास्क में विद्युत निर्वहन बनाने के प्रयोग द्वारा समझाया। डार्विन ने प्राकृतिक चयन द्वारा जीवन की उत्पत्ति का सिद्धान्त दिया। 7 / 20 7. निम्नलिखित में से कौन-सा/से तत्त्व ई-वेस्ट के लिए उत्तरदायी है/हैं? सेलेनियम लेड (सीसा) कैडमियम उपर्युक्त सभी Solution – ई-अपशिष्ट का निर्माण इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अनुपयुक्त एवं बेकार हो जाने से होता है। इनमें अनेक खतरनाक रसायन एवं भारी धातुएँ, जैसे – सीसा, कैडमियम, सेलेनियम व बेरिलियम पाए जाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। – बसेल कन्वेंशन एक अन्तर्राष्ट्रीय संधि है जो ई-अपशिष्ट के दो देशों के बीच स्थानांतरण को प्रतिबंधित करती है। 8 / 20 8. बिल्ली और छिपकली के अग्रपाद चलने, व्हेल के अग्रपाद तैरने और चमगादड़ के अग्रपाद उड़ने के लिए होते हैं, ये किसके उदाहरण है? समवृत्तिय अंग अनुकूली विकिरण समजात अंग अभिसारी विकास Solution -बिल्ली और छिपकली के अग्रपाद, व्हेल के अग्रपाद तथा चमगादड़ के अग्रपाद समजातता के उदाहरण है। अनेक कशेरुकी जीवों के अग्रपाद की अस्थि संरचना में समानता, समजातता का उदाहरण है। समजात अंगों की आधरभूत संरचना समान होती है, लेकिन ये अलग–अलग कार्य करते है; जैसे–मानव, चमगादड़, कबूतर, चीता एवं व्हेल के अग्रपाद। -समरूप अंग अभिसारी विकास प्रदर्शित करते हैं। इन अंगों का कार्य समान होता है, लेकिन इनकी संरचनात्मक आकृति और उत्पत्ति अलग होती है। समान पूर्वज से भिन्न–भिन्न क्रियात्मक संरचनाओं का विकास अनुकूली विकिरण कहलाता है। 9 / 20 9. जल प्रबंधन की विधि है- बाँध निर्माण बूँद-बूँद सिंचाई पद्धति रेन वाटर हार्वेस्टिंग उपर्युक्त सभी Solution जल प्रबंधन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह भविष्य की सिंचाई की अपेक्षाओं को स्थापित करने में मदद करता है। जल प्रबंधन मौजूदा नीतियों और विनियमों के अनुपालन में जल संसाधन प्रबंधन है। -जल प्रबंधन की विधि- बाँध निर्माण, बूँद-बूँद सिंचाई पद्धति, रेन वाटर हार्वेस्टिंग 10 / 20 10. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? प्राथमिक प्रदूषक, द्वितीयक प्रदूषकों की अपेक्षा अधिक हानिकारक होता है। प्राथमिक प्रदूषक और द्वितीयक प्रदूषक समान रूप से हानिकारक होते हैं। द्वितीयक प्रदूषक, प्राथमिक प्रदूषक की अपेक्षा अधिक हानिकारक होता है। DDT एक द्वितीयक प्रदूषक है। Solution -प्राथमिक प्रदूषक उसी रूप में बने रहते हैं जिस रूप में वे पर्यावरण में मुक्त होते हैं। – द्वितीयक प्रदूषक का निर्माण प्राथमिक प्रदूषकों की आपस में अभिक्रिया द्वारा होता है। – द्वितीयक प्रदूषक, प्राथमिक प्रदूषकों की अपेक्षा अधिक विषाक्त होते हैं। अत: डीडीटी एक प्राथमिक प्रदूषक है। 11 / 20 11. घरेलू कचरा प्रबन्धन में प्रयुक्त होने वाले डिब्बों के संदर्भ में असत्य कथन है- हरा डिब्बा – इसमें फल व सब्जी के छिलके एवं खराब भोजन सामग्री एकत्रित किया जाता है। नीला डिब्बा – इसमें अजैविक अपशिष्ट सामग्री (जैसे- प्लास्टिक, काँच) का कचरा एकत्रित किया जाता है। काला डिब्बा – इसमें गैर खतरनाक और गैर विषैले औद्योगिक अपशिष्ट का कचरा एकत्रित किया जाता है। उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution काले डिब्बे में विषैले/जहरीले अपशिष्ट जैसे- दवाइयों के अपशिष्ट व अनुपयोगी दवाइयाँ, पेन्ट, बैटरी, सैल, आदि का कचरा एकत्रित किया जाता है। 12 / 20 12. ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों का सही क्रम बताइए- कार्बन डाई ऑक्साइड > मीथेन > क्लोरो फ्लोरो कार्बन > नाइट्रोजन के ऑक्साइड कार्बन डाई ऑक्साइड > नाइट्रोजन के ऑक्साइड > क्लोरो फ्लोरो कार्बन > मीथेन मीथेन > क्लोरो फ्लोरो कार्बन > नाइट्रोजन के ऑक्साइड > कार्बन डाई ऑक्साइड क्लोरो फ्लोरो कार्बन > नाइट्रोजन के ऑक्साइड > कार्बन डाई ऑक्साइड > मीथेन Solution ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसें हैं- कार्बन डाई ऑक्साइड (60%), मीथेन (20%), क्लोरो फ्लोरो कार्बन (14%), नाइट्रोजन के ऑक्साइड तथा अन्य (6%)। – ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों का क्रम- कार्बन डाई ऑक्साइड > मीथेन > क्लोरोफ्लोरो कार्बन > नाइट्रोजन के ऑक्साइड 13 / 20 13. निम्नलिखित में से सिंचाई के लिए प्रयुक्त उपकरण है- मोट (घिरनी) विद्युत-पम्प लाव-चड़स उपर्युक्त सभी Solution सिंचाई के लिए प्रयुक्त उपकरण मोट (घिरनी), रहट, चेन पम्प, विद्युत-पम्प, विद्युत मोटर, ब्रेकली, लाव-चड़स आदि। 14 / 20 14. ‘झूम विधि’ संबंधित है- भारत के दक्षिण-पूर्व की जनजाति कृषि (खेती) का एक प्रकार एक लोक नृत्य एक नदी का नाम Solution ● ‘झूम विधि’ शब्द कृषि (खेती) का एक प्रकार है। ●इसमें वन क्षेत्र में किसी स्थान को चयनित करके वहाँ उपस्थित पेड़-पौधों को जलाकर उस स्थान को साफ किया जाता है तथा पेड़-पौधों की राख को उसी मिट्टी में मिलाकर उस स्थान पर खेती की जाती है। ● एक स्थान पर झूम खेती की अवधि 2-3 वर्ष होती है। ● झूम खेती को ‘वालरा कृषि’ भी कहते हैं। 15 / 20 15. कार्बानिक विकास का सर्वमान्य सिद्धान्त कौन-सा है? प्राकृतिक वरणवाद फेज सिद्धान्त संश्लेषण उत्परिवर्तन वाद Solution • विकास का आधुनिक सिद्धांत में डार्विन के विचार, मेंडेल की आनुवांशिकी, जीन बोध और आण्विक स्तर पर आनुवांशिक परिवर्तन सम्मिलित है। 16 / 20 16. निम्नलिखित में से कौन-सी खरीफ फसल है? मूँगफली मक्का धान उपर्युक्त सभी Solution इसे जून-जुलाई माह में उगाते हैं। ● खरीफ फसल के उदाहरण धान, बाजरा, मक्का, कपास, मूंगफली, शकरकन्द, ज्वार, तिल, ग्वार, जूट, सनई, अरहर, गन्ना, सोयाबीन, तंबाकू आदि। 17 / 20 17. भूमि में बीज को स्थापित करने वाला यंत्र है- ट्रैक्टर खाद ओरणा उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution ● कीप के आकार के इस औजार (ओरणा) में बीजों को कीप के अंदर डालने पर ये दो या तीन नुकीलें सिरे वाले पाईप में से गुजरते हैं। ● ये सिरे मिट्टी को भेदकर भूमि में बीज को स्थापित करते हैं। 18 / 20 18. जैव विविधता का संरक्षण क्यों महत्त्वपूर्ण है? यह केवल मनुष्यों के लिए उपयोगी है यह पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है यह केवल आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है यह केवल जीवों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए है Solution जैव विविधता का संरक्षण इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है। हर प्रजाति की अपनी भूमिका होती है, जैसे की परागण, अपशिष्ट नष्ट करना, और जलवायु नियंत्रण। इन प्रजातियों की कमी से पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन हो सकता है, जो खाद्य सुरक्षा, प्राकृतिक संसाधनों और जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसलिए जैव विविधता का संरक्षण पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। 19 / 20 19. ‘उपार्जित लक्षणों की वंशागति’ किसके सिद्धान्त का मुख्य बिन्दु था? डार्विन का सिद्धान्त एच.डी. ब्रीज का सिद्धान्त लैमार्क का सिद्धान्त वैलेस का सिद्वान्त Solution · ‘उपार्जित लक्षणों की वंशागति‘ लैमार्क के सिद्धान्त का मुख्य बिन्दु है। ·जैव विकास की परिकल्पना पर पहला तर्क संगत सिद्धान्त फ्रांसीसी जीव वैज्ञानिक, जीन वैप्टिस्टे डी लैमार्क ने प्रस्तुति किया जो सन् 1809 में उनकी पुस्तक “फिलासफी जूलोगीक” में छपा। इसे लैमार्क का सिद्धान्त या उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त कहते है। यह 4 मूल धारणाओं पर आधारित था। यथा (i) विकास के दौरान जीवों एवं उनके अंगों के अमाप (size) में वृद्धि होती है। (ii) यदि किसी जीव में किसी नए अंग के बनने से उसकी उत्तर जीविता बढ़ सकती है तो उस जीव में उस अंग की उत्पत्ति होती है। (iii) अंगों का प्रयोग अनुप्रयोग (iv) अंगों के उपयोग अनुप्रयोग के कारण उत्पन्न से परिवर्तन वंशागत होते है और ये समय के साथ परिणाम में बदले जाते है यह अवधारणा उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त कहलाती है। 20 / 20 20. निम्नलिखित में से कौन-सा कचरा सबसे खतरनाक और (पर्यावरण में) लम्बे समय तक बना रहता है? जैव चिकित्सा ज्वालामुखी की राख वायु प्रदूषण नाभिकीय कचरा Solution रेडियोधर्मी कचरा आमतौर पर नाभिकीय प्रक्रियाओं जैसे- नाभिकीय विखण्डन से पैदा होता है, इसमें रेडियोधर्मी कणों का लगभग 15 से 20 प्रतिशत हमारे वायुमण्डल के स्ट्रेटोस्फीयर (समताप मण्डल) में प्रवेश कर जाता है तथा यह कचरा हमारे वायुमण्डल में लम्बे समय तक बना रहता है। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now