REET LEVEL 2 SST मौर्य तथा गुप्त साम्राज्य एवं गुप्तोतर काल | REET 2025 | सामाजिक अध्ययन ( इतिहास ) | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 26, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /20 75 1234567891011121314151617181920 मौर्य तथा गुप्त साम्राज्य एवं गुप्तोतर काल | REET 2025 | सामाजिक अध्ययन ( इतिहास ) | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 20 1. चन्द्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी कौन था? अशोक बिन्दुसार विष्णुगुप्त कुणाल Solution ● चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र बिन्दुसार उत्तराधिकारी बना। ● यूनानियों ने बिन्दुसार को “अमित्रचेट्स” कहा है। ● जैन ग्रन्थों में “सिंहसेन” कहा गया। ● वायुपुराण में ‘भद्रसार’ तथा पतंजलि के महाभाष्य में अमित्रघात का उल्लेख मिलता है। 2 / 20 2. अशोक ने अपने राज्याभिषेक के कौन-से वर्ष कलिंग पर विजय प्राप्त की? 10 वें वर्ष 14 वें वर्ष 8 वें वर्ष 13 वें वर्ष Solution ● कलिंग युद्ध का उल्लेख अशोक के 13वें शिलालेख में हुआ है। कलिंग युद्ध अशोक के अपने राज्याभिषेक के 8वें वर्ष तथा 261 ई. पू. में हुआ था। हाथीगुम्फा अभिलेख से प्रकट होता है कि सम्भवत: कलिंग पर नन्दराज नाम का राजा शासन करता था। ● उस समय कलिंग की राजधानी तोसली थी। ● अशोक ने 10वें वर्ष सम्बोधि (बोधगया) की यात्रा की और धम्मयात्रा का प्रचलन किया। (8वाँ शिलालेख) ● अशोक ने 13वें वर्ष धर्ममहामात्र की नियुक्ति की (5वाँ शिलालेख) ● अशोक ने 14वें वर्ष कनकमुनि स्तूप का आकारवर्द्धन किया (निग्लिवा लेख)। 3 / 20 3. शूद्रक द्वारा लिखा गया नाटक है- मृच्छकटिकम् किरातार्जुनीयम् विक्रमोर्वशीयम् चन्द्रव्याकरण Solution मृच्छकटिकम्-शूद्रक (चारूदत्त व वसन्तसेना नामक वेश्या की प्रणयकथा का वर्णन) किरातार्जुनीयम् – भारवि विक्रमोर्वशीयम् – कालिदास (उर्वशी तथा पुरूरवा की प्रेम कथा) चन्द्रव्याकरण – चन्द्रगोमिन (संस्कृत व्याकरण ग्रंथ) 4 / 20 4. निम्नलिखित में से मंदिर वास्तुकला की पंचायतन शैली में निर्मित मंदिर का उदाहरण है- पाथरी का शिखर मंदिर देवगढ़ का दशावतार मंदिर सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर नचना कुठार का पार्वती मंदिर Solution ● देवगढ़ का दशावतार मंदिर (ललितपुर उत्तर प्रदेश) छठी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में बनाया गया था। ● यह मंदिर पंचायतन शैली में निर्मित गुप्तकालीन मंदिर स्थापत्य का एक श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। ● इस शैली के अन्तर्गत पाँच छोटे-बड़े देवालय बनाए जाते हैं। इसलिए इस प्रकार की शैली को पंचायतन कहा जाता है। ● सातवीं सदी ई. में सिरपुर (रायपुर) में बना लक्ष्मण मंदिर आरम्भिक काल में बने शिखर युक्त मंदिरों में सबसे आकर्षक है। ● पाथरी का शिखर मंदिर लगभग छठी शताब्दी ई. का है तथा इसकी ऊँचाई भवन के चौड़ाई से ठीक दुगुनी है। इस संबंध में वराहमिहिर के इस सुझाव का ध्यान रखा गया, जिसमें यह कहा गया कि एक मंदिर की ऊँचाई उसकी चौड़ाई से ठीक दुगुनी होनी चाहिए। नचना कुठार का पार्वती मंदिर गुप्तकालीन वास्तुकला का अनूठा उदाहरण है, जो मध्यप्रदेश के सागर जिले में स्थित है। 5 / 20 5. अजंता की किस गुफा से मरणासन्न राजकुमारी का चित्र प्राप्त हुआ है? गुफा संख्या – 9 गुफा संख्या – 17 गुफा संख्या – 16 गुफा संख्या – 10 Solution ● अजंता के चित्रों में प्राकृतिक सौन्दर्य, बुद्ध व बौधिसत्व तथा जातक ग्रंथों के वर्णात्मक दृश्यों का अंकन हुआ है। ● सुन्दर कल्पना, रंगों की प्रभा, रेखाओं का लालित्य, विषय वस्तु की विविधता, अभिव्यक्ति से सम्पन्नता व अभिव्यंजना के कौशल के कारण अजंता के चित्र अद्वितीय हैं। ● इनमें गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण मरणासन्न राजकुमारी के सहित अवलौकिश्वर, यशोधरा, राहुल आदि चित्र प्रसिद्ध हैं। ● गुफा संख्या 17 के चित्र को चित्रशाला कहा गया है। इस गुफा में माता और शिशु का चित्र सर्वोत्कृष्ट है। 6 / 20 6. वाराणसी के निकट सारनाथ में स्थित सिंहशीर्ष, जिसको आमतौर पर सारनाथ सिंह शीर्ष कहा जाता है। यह किस काल से संबंधित मूर्तिकला का एक सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है? मौर्यकालीन गुप्तकालीन पल्लवकालीन कुषाण कालीन Solution ● वाराणसी के निकट सारनाथ में स्थित सिंह शीर्ष मूर्ति जो मौर्यकालीन मूर्तिकला का एक सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। ● यह भगवान बुद्ध द्वारा धम्मचक्रप्रवर्तन यानी प्रथम उपदेश देने की स्मृति में सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया। ● इस सिंह शीर्ष को, उपरिचक्र और कमलाधार के बिना, स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है। 7 / 20 7. वत्सभट्टी किस शासक के दरबार में थे? चन्द्रगुप्त मौर्य कुमारगुप्त प्रथम चन्द्रगुप्त- I बुद्ध गुप्त Solution वत्सभट्टी कुमारगुप्त प्रथम शासक के दरबार में थे। 8 / 20 8. शून्य का सिद्धांत किस गणितज्ञ ने दिया था? वराहमिहिर आर्यभट्ट भास्कर प्रथम ब्रह्मगुप्त Solution आर्यभट्ट ने सर्वप्रथम शून्यवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन क्रिया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती व सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। 9 / 20 9. अशोक के आठवें वृहद शिलालेखानुसार निम्न में से किस बौद्ध स्थल की यात्रा उसके द्वारा की गई? लुम्बिनी बोधगया सारनाथ कुशीनगर Solution ● आठवें लेख में धम्म यात्राओं का उल्लेख है। बताता है कि, “राज्याभिषेक के 10 वें वर्ष धम्म यात्राओं को शुरू किया और सबसे पहले बोधगया गया।” अशोक ने कुल 256 रातें धम्मयात्रा में बिताई। 1882 में इस आठवें लेख का एक संस्करण भगवानलाल इन्द्र जी ने सोपारा में प्राप्त किया था। 10 / 20 10. निम्नलिखित में से समुद्रगुप्त की ‘प्रयागप्रशस्ति’ का रचयिता कौन था? हरिषेण तिलभट्ट रवि कीर्ति उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution ● समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति की रचना हरिषेण ने की थी। ● इस प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के विभिन्न अभियानों का वर्णन किया गया। इसमें समुद्रगुप्त की उपाधियाँ – कविराज, धर्मप्राचीर बन्ध, लिच्छवि दौहित्र कहा गया है। उसके सिक्कों पर उसे वीणा बजाते हुए दिखाया गया है। 11 / 20 11. सम्राट हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कहाँ स्थानांतरित की थी? राजगृह दिल्ली कन्नौज प्रयाग Solution – हर्षवर्धन ने अपनी बहन राज्यश्री के आग्रह पर कन्नौज की गद्दी पर बैठना स्वीकार किया और अपनी राजधानी भी थानेश्वर से कन्नौज स्थानांतरित कर दी। – हर्षवर्धन लगभग 606 ई. में थानेश्वर की राजगद्दी पर बैठा था। इसके विषय में जानकारी बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित से मिलती है। – समृद्धि और ऐश्वर्य के कारण कन्नौज को ‘महोदय नगर’ भी कहते थे। 12 / 20 12. निम्नलिखित में से किस पुस्तक के अनुसार अशोक ने कश्मीर में “श्रीनगर” तथा नेपाल में ‘ललितपत्तन’ नामक नगर बसाया था? राजतरंगिणी विष्णु पुराण महाभाष्य मुद्राराक्षस Solution ● कल्हण की राजतरंगिणी (राजाओं की सरिता) प्रथम ऐतिहासिक पुस्तक का दर्जा प्राप्त हैं। इसकी भाषा संस्कृत तथा महाभारत शैली के आधार पर कश्मीर में लिखी गई। इस पुस्तक के अनुसार अशोक ने कश्मीर वितस्ता नदी के किनारे “श्रीनगर” नामक नगर की स्थापना की तथा नेपाल में ललितपत्तन नगर बसाया। ● विशाखदत्त की मुद्राराक्षस में कौटिल्य की योजनाओं का उल्लेख है कि कैसे उसने नन्द वंश की सत्ता को उखाड़ फेंका। ● पतंजलि ने महाभाष्य में चन्द्रगुप्त की राजभाषा का उल्लेख किया है। 13 / 20 13. अशोक का राज्याभिषेक हुआ था– 269 ईसा पूर्व 273 ईसा पूर्व 265 ईसा पूर्व 251 ईसा पूर्व Solution ● अशोक ने प्रधानमंत्री राधागुप्त की सहायता से अपने आपको मगध का शासक घोषित कर दिया था। ● अशोक को अपने भाइयों के विद्रोह को दबाने में 4 वर्ष लगे थे, जिस कारण से अशोक का राज्याभिषेक 269 ई.पू. में हो पाया था। 14 / 20 14. चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में शामिल नहीं था- वेताल भट्ट नागार्जुन अमर सिंह क्षपणक Solution चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार में नौ विद्वानों की एक मंडली निवास करती थी, जिसे नवरत्न कहा गया। इसमें कालीदास, धन्वन्तरि, वराहमिहिर, अमरसिंह, क्षपणक, शंकु, वेतालभट्ट, घटकर्पर, वररुचि जैसे विद्वान थे। यह नवरत्न संभवत: उज्जैन दरबार को सुशोभित करते थे, जो विक्रमादित्य की दूसरी राजधानी थी। 15 / 20 15. निम्नलिखित में से हर्ष द्वारा रचित नाटक नहीं है? नागानंद कादम्बरी रत्नावली प्रियदर्शिका Solution हर्ष उच्चकोटि का कवि था। उसने संस्कृत में नागानंद, रत्नावली व प्रियदर्शिका नामक तीन नाटकों की रचना की। अत: हर्ष को साहित्यकार सम्राट भी कहा जाता है। कादम्बरी ग्रंथ के रचयिता बाणभट्ट है जिसे पूरा इनके पुत्र भूषणभट्ट ने किया। 16 / 20 16. मौर्य काल में दीवानी मामलों का मुख्य न्यायाधीश था– सन्निधाता प्रदेष्टा समाहर्ता व्यावहारिक Solution ● सन्निधाता – कोषाध्यक्ष ● प्रदेष्टा – फौजदारी मामलों का मुख्य न्यायाधीश ● समाहर्ता – राजस्व संग्रहकर्ता ● व्यावहारिक – दीवानी मामलों का मुख्य न्यायाधीश 17 / 20 17. निम्नलिखित में से कौन-सा सम्राट एक कुशल संगीतज्ञ भी था? समुद्रगुप्त चंद्रगुप्त विक्रमादित्य चंद्रगुप्त प्रथम अशोक Solution चंद्रगुप्त प्रथम के बाद उसका पुत्र समुद्रगुप्त (335-375 ई.) शासक बना। इसके समय में गुप्त सम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार हुआ। समुद्रगुप्त की मुद्राएँ उसके जीवन एवं कार्यों पर सुंदर प्रकाश डालती है। उसके सिक्कों पर उसे वीणा वादन करते हुए चित्रित किया गया है। वह एक कुशल संगीतज्ञ भी था। 18 / 20 18. कला व साहित्य के विकास की दृष्टि से किस काल को भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग कहा गया है? गुप्तकाल गुप्तोत्तर काल मौर्योत्तर काल मुगलकाल Solution – स्थापना एवं चित्रकला के क्षेत्र में विकास की चरम सीमा गुप्तकाल में ही प्राप्त हाती है। इसलिए गुप्तकाल को ‘क्लासिकी युग अथवा स्वर्णयुग ’ कहा गया है। 19 / 20 19. अशोक के अभिलेखों की भाषा है- प्राकृत प्राकृत व खरोष्ठी प्राकृत, खरोष्ठी व आरमाइक प्राकृत, आरमाइक व ग्रीक (यूनानी) Solution ● सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप को 1837 ई. में अशोक के अभिलेखों की खोज को पढ़ने में सफलता प्राप्त हुई सर्वप्रथम दिल्ली-टोपरा लेख को पढ़ा। ● अशोक के अभिलेखों की भाषा प्राकृत, आरमाइक व ग्रीक (यूनानी) है। ● अशोक के अभिलेख आरमाइक, खरोष्ठी, यूनानी एवं ब्राह्मी चार लिपियों में पाए गए हैं। 20 / 20 20. गुप्तकाल में किस विद्वान ने ‘खण्डखाद्यक’ ग्रंथ का लेखन किया? ब्रह्मगुप्त वराहमिहिर आर्यभट्ट नागार्जुन Solution ● ब्रह्मगुप्त – राजस्थान के भीनमाल में इनका जन्म हुआ। इन्होंने पुस्तक ब्रह्मस्फुट या ब्रह्मसिद्धांत तथा खण्डखाद्यक ग्रंथ लिखे एवं गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। ● नागार्जुन रसायन तथा धातु विज्ञान के विद्वान थे। ● आर्यभट्ट का गणित एवं ज्योतिष में विशेष स्थान था जिन्होंने दशगितिकसूत्र, आर्यष्ट शतक ग्रन्थों की रचना की। इन्होंने पृथ्वी गोल एवं उसके धुरी पर घूर्णन का सिद्धांत का विवेचन किया। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now