REET हिन्दी भाषा के विभिन्न शिक्षण | REET 2025 | हिंदी | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 25, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /10 35 12345678910 हिन्दी भाषा के विभिन्न शिक्षण | REET 2025 | हिंदी | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 10 1. पठन कौशल के विकास हेतु प्राथमिक कक्षाओं में अधिक बल दिया जाता है। मौन पठन सस्वर पठन 1 और 2 दोनों आदर्श पठन Solution पठन कौशल के विकास हेतु प्राथमिक कक्षाओं में मौन पठन की अपेक्षा सस्वर पठन पर अधिक बल दिया जाता है। जबकि उच्च प्राथमिक कक्षाओं में सस्वर पठन की अपेक्षा मौन पठन पर अधिक बल दिया जाता है। अतिरिक्त जानकारी – सस्वर वाचन के दो रूप है- (1) व्यक्तिगत पठन (2) सामूहिक पठन – सस्वर वाचन का अभ्यास कराने के लिए सबसे उपयुक्त साधन। 2 / 10 2. अर्थग्रहण के कौशल के विकास के लिए अधिक उपयोगी हैं- व्याकरण शिक्षा समाचार वाचन मौन वाचन सस्वर वाचन Solution – अर्थग्रहण के कौशल के विकास के लिए अधिक उपयोगी मौन वाचन है क्योंकि अर्थबोध और भावानुभूति मौन वाचन के आवश्यक तत्त्व है। मौन वाचन करते समय पाठ्यांश में वर्णित भावों और विचारों की ओर अधिक ध्यान दिया जाता है। 3 / 10 3. किस भाषायी कौशल को अध्ययन की आधार शिला भी कहा जाता है? श्रवण कौशल मौखिक अभिव्यक्ति कौशल पठन कौशल लेखन कौशल Solution श्रवण कौशल को अध्ययन की आधार शिला भी कहा जाता है। श्रवण कौशल का आशय है- सुनकर अर्थग्रहण करना। श्रवण कौशल द्वारा मौखिक अभिव्यक्ति कौशल (उच्चारण कौशल) को प्रभावी बनाया जा सकता है। श्रवण कौशल से ही वाचन कौशल का विकास होता है। श्रवण कौशल के माध्यम से ध्वनियों के सूक्ष्म अन्तर को पहचानने में सहायता मिलती है। श्रवण एक मानसिक क्रिया है। 4 / 10 4. निम्नांकित में से किस भाषायी कौशल पर अन्य कौशलों का विकास निर्भर करता है? सुनना बोलना पढ़ना लिखना Solution भाषायी कौशल ‘सुनना’ पर अन्य कौशलों का विकास निर्भर करता है। भाषा कौशल अभिव्यक्ति का एक साधन है, जिसमें सुनने, बोलने, पढ़ने और लिखने के माध्यम से अपने विचारों का आदान-प्रदान किया जाता है। भाषा सीखने का स्वाभाविक एवं मनोवैज्ञानिक क्रम है सुनना (L), बोलना (S), पढ़ना (R), लिखना (W) अतिरिक्त जानकारी – श्रवण कौशल का महत्त्व- ● अर्थ ग्रहण में ● वक्ता के मनोभाव को समझने में ● शुद्ध लेखन में ● शुद्ध उच्चारण में ● विषयवस्तु के सार ग्रहण में 5 / 10 5. भाषा सीखने के लिए कौन-सा कारक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है? पाठ पर आधारित प्रश्नोत्तर। समृद्ध भाषिक वातावरण। भाषा की पाठ्य पुस्तक। भाषा की दृश्य-श्रव्य सामग्री। Solution भाषा सीखने के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक समृद्ध भाषिक वातावरण है। समृद्ध भाषिक वातावरण से तात्पर्य भाषा की ध्वनि विज्ञान, शब्द विज्ञान, हिन्दी वाक्य रचना आदि के ज्ञान से है। अतिरिक्त जानकारी – • भाषा की प्रकृति को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं :- – भाषा एक व्यवस्था है। – भाषा प्रतीकों की व्यवस्था है। – ये प्रतीक मौखिक अथवा वाचिक है। – ये प्रतीक यादृच्छिक है। – भाषा परस्पर विचार-विनिमय एवं सामाजिक क्रियाकलाप का साधन है। 6 / 10 6. मातृभाषा और उसके साहित्य शिक्षण के सूत्र हैं- ज्ञात से अज्ञात की ओर सरल से जटिल की ओर मूर्त से अमूर्त की ओर उपर्युक्त सभी Solution मातृभाषा और उसके साहित्य शिक्षण में उपर्युक्त सभी शिक्षण सूत्रों का प्रयोग किया जाता है। 1. ज्ञात से अज्ञात की ओर – इसका अर्थ है कि बच्चों के पूर्व ज्ञान के आधार पर नये ज्ञान का विकास करना चाहिए। 2. सरल से कठिन की ओर – इसका अर्थ है कि बच्चों को पहले सरल तथ्यों का ज्ञान कराया जाए उसके बाद कठिन का और फिर कठिनतर का। 3. मूर्त से अमूर्त की ओर – इसका अर्थ है कि बच्चों को पहले मूर्त वस्तुओं एवं वास्तविक क्रियाओं को दिखाया जाए और उसके बाद में उन्हें उनसे सम्बन्धित तथ्य स्पष्ट किया जाए। इसके अतिरिक्त विशेष से सामान्य की ओर, आगमन से निगमन की ओर, विश्लेषण से संश्लेषण की ओर, आदि सूत्रों का भी भाषा शिक्षण में प्रयोग किया जाता है। 7 / 10 7. बालक के भाषा-अर्जन में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है- मौन वाचन का मौखिक वाचन का लेखन का अनुकरण Solution बालक के भाषा-अर्जन में महत्त्वपूर्ण योगदान ‘अनुकरण’ का होता है। अनुकरण भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रक्रिया है। अतिरिक्त जानकारी – भाषा अनुकरणजन्य प्रक्रिया है– अरस्तू के शब्दों में “अनुकरण मनुष्य का सबसे बड़ा स्वाभाविक गुण है।“ भाषा सीखने में मनुष्य इसी गुण का उपयोग करता है। – भाषा परम्परागत है, व्यक्ति उसका अर्जन कर सकता है, उत्पन्न नहीं कर सकता। – भाषा सतत परिवर्तनशील प्रक्रिया है। 8 / 10 8. भाषा शिक्षण के उद्देश्य है- बोधन लेखन भाषानुवाद उपर्युक्त सभी Solution – भाषा शिक्षण के प्रमुख तीन उद्देश्य है- 1. बोधन- भावों और विचारों को समझ कर मौखिक रूप से अभिव्यक्त करने की क्षमता। 2. लेखन- भावो और विचारों को लिखित रूप से अभिव्यक्त करने की क्षमता। 3. भाषानुवाद- भाव के शब्दार्थों को समझकर उसे अभिव्यक्त करने की क्षमता। 9 / 10 9. ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा विचारों का प्रकटीकरण ही भाषा है। उपर्युक्त परिभाषा की गई है– क्रोचे द्वारा स्वीट द्वारा पतंजलि द्वारा जेस्पर्सन द्वारा Solution स्वीट के अनुसार ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा विचारों का प्रकटीकरण ही भाषा है। सामान्य दृष्टि से भाषा वह साधन है जिसके द्वारा एक प्राणी दूसरे प्राणी पर अपने विचार, भाव या इच्छा प्रकट करता है। 10 / 10 10. डॉ. बी. एस. ब्लूम द्वारा वर्गीकृत शिक्षण उद्देश्यों के संदर्भ में ‘ज्ञानात्मक पक्ष’ से संबंधित नहीं है– ज्ञान बोध व्यवस्थापन संश्लेषण Solution ज्ञानात्मक पक्ष– 1. ज्ञान 2. बोध 3. ज्ञानोपयोग 4. विश्लेषण 5. संश्लेषण 6. मूल्यांकन ‘व्यवस्थापन’ भावात्मक पक्ष से संबंधित है। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now