REET भाषाशिक्षणस्य सिद्धान्ता , संस्कृत शिक्षणाभिरू चिप्रश्ना | REET 2025 | संस्कृत | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 25, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /10 20 12345678910 भाषाशिक्षणस्य सिद्धान्ता , संस्कृत शिक्षणाभिरू चिप्रश्ना | REET 2025 | संस्कृत | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 10 1. संस्कृतशिक्षणस्योपयोगी सिद्धान्तोऽस्ति – स्वाभाविकताया: सिद्धान्त: क्रियाशीलताया: सिद्धान्त: रुचे: सिद्धान्त: उपर्युक्ता: सर्वे Solution ● संस्कृत शिक्षण के लिए स्वाभाविकता सिद्धान्त, क्रियाशीलता सिद्धान्त, रुचि का सिद्धान्त व सक्रियता का सिद्धान्त, अनुपात व क्रम का सिद्धान्त यह सभी संस्कृत शिक्षण के लिए उपयोगी है। 2 / 10 2. ‘ज्ञातात् अज्ञातं प्रति’ शिक्षणसूत्रस्य प्रयोग: कदा भवति? प्रस्तावनासमये श्यामपट्टसमये उदाहरणसमये काठिन्यनिवारणे Solution प्रस्तावना के समय सबसे पहले ज्ञात (पूर्व ज्ञान) विषय पढ़ाया जाता है तथा उसके बाद अज्ञात विषय (नवीन) पढ़ाते हैं। जैसे – वृद्धि संधि पढ़ाते समय संधि की परिभाषा, भेद, दीर्घ संधि आदि विषयक प्रश्न पूछे जा सकते। पूर्व में जो विषय पढ़ चुके है उसे ज्ञात और जो आगे पढ़ेंगे उसे अज्ञात कहते है। 3 / 10 3. अन्वेषण प्रश्नेषु पुनर्निदेशनं कदा क्रियते – यदा छात्र: उत्तरं ददाति। यदा छात्र: उत्तरं न ददाति। यदा छात्र: आंशिक अपूर्णम् वा उत्तरं ददाति। यदा छात्र: पूर्ण शुद्धं वा उत्तरं ददाति। Solution ● अन्वेषण प्रधान प्रश्नों में जब छात्र आंशिक या अपूर्ण या अशुद्ध देता है जब पुनर्निदेशन दिया जाता है। 4 / 10 4. श्यामपट्टलेखन: कौशलस्य घटक: नास्ति – शब्दानां मध्ये समुचितं स्थानम्। पंक्तिनां मध्ये समुचितं स्थानम्। अक्षराणाम् उपयुक्त: आकार:। रूचिकर: युक्तिनां प्रयोग: Solution ● श्यामपट्ट लेखन कौशल में रूचिकर युक्तियों का प्रयोग शामिल नहीं है। श्यामपट्ट कौशल उद्देश्यम् – लेखनकौशलविकास: श्यामपट्ट शिक्षक का सर्वाधिक विश्वसनीय मित्र है। कक्षा शिक्षण में दृश्य-साधन के रूप में श्यामपट्ट का सर्वाधिक प्रयोग होता है। श्यामपट्ट का प्रयोग करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए- (i) श्यामपट्ट पर लिखी गई सामग्री आसानी से पढ़ने योग्य हो। (ii) लिखे गये अक्षर शुद्ध व स्पष्ट हो। (iii) दो अक्षरों व दो शब्दों के बीच पर्याप्त खाली जगह हो। (iv) अक्षर सीधे लिखे हुए हो। (v) श्यामपट्ट पर मार्जनी (डस्टर) का प्रयोग उपरिष्टाद् अध: (ऊपर से नीचे की ओर) करें। (vi) दो पंक्तियों के बीच न अधिक व न कम अंतर होना चाहिए। (vii) शिक्षक श्यामपट्ट के एक ओर खड़ा होकर लिखें। (viii) श्यामपट्ट पर लिखते समय शिक्षक बोलता रहे। जिससे छात्रों को पढ़कर लिखने में सुविधा होगी। 5 / 10 5. क: शिक्षणसिद्धान्त: मानसिकविकासे तीव्रगतिमादधाति? अभ्यासस्य सिद्धान्त: रुचे: सिद्धान्त: मौखिक कार्यस्य सिद्धान्त: सक्रियताया: सिद्धान्त: Solution ● सक्रियता द्वारा मानसिक विकास तीव्र गति से होता है। अभिप्रेरणा के माध्यम से छात्रों को शिक्षण हेतु सक्रिय रखने का प्रयास करना चाहिए। छात्रों को सक्रिय रखने हेतु अध्यापक छात्रों को सरल संस्कृत में अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करे। छात्रों को प्रश्न के अवसर प्रदान करे। मौखिककार्य का सिद्धांत भाषा अधिगम की प्रक्रिया कान और जिह्वा से प्रारम्भ होती है। शैशवावस्था में बालक सर्वप्रथम भाषा को सुनता है इसके पश्चात् बोलने का प्रयास करता है। रुचि का सिद्धांत •यह एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत है कि जिस विषय में बालक की अधिक रुचि होती है वह उस विषय को पढ़ने के लिए प्रेरित होता है। 6 / 10 6. संस्कृत शिक्षणे क्रियाशीलताया: सिद्धान्तं स्यात् – संस्कृते कक्षायां श्यामपट्टस्यधिकाधिकं प्रयोग: शब्दानां अधिकाधिक: कक्षाकक्षे प्रयोग: क्रियाधारित: प्रयोगं सर्वाणि Solution ● संस्कृत कक्षाकक्ष में श्यामपट्ट का अधिक से अधिक प्रयोग करना, नवीन शब्दों का अधिक प्रयाेग करना तथा कक्षाकक्ष में क्रिया आधारित शिक्षण कराना ये सभी क्रियाशीलता सिद्धान्त के अन्तर्गत सम्मिलित है। 7 / 10 7. शिक्षणसूत्राणि विषये कस्य महत्त्वपूर्णं योगदानं वर्तते – हरबर्ट स्पेन्सर: कामेनियस: उभौ स्मिथ: Solution ● शिक्षण को सरल एवं सुग्राह्य बनाने के लिए हरबर्ट स्पेन्सर तथा कामेनियस जैसे महान् शिक्षाशास्त्रियों ने अपने अनुभवों व निर्णयों को सूत्रों के रूप में प्रस्तुत किया।•संस्कृत शिक्षण को सरल, सुबोध एवं सुग्राह्य बनाने के लिए हरबर्ट स्पेन्सर और कॉमेनियस जैसे महान शिक्षा शास्त्रियों ने शिक्षण सूत्रों का प्रतिपादन किया। (1) ज्ञातादज्ञातं प्रति (ज्ञात से अज्ञात की ओर) (2) स्थूलात् सूक्ष्मं प्रति (स्थूल से सूक्ष्म की ओर) (3) सरलात् कठिनं प्रति (सरल से कठिन की ओर) 8 / 10 8. अधोलिखितेषु सिद्धान्तेषु क: सिद्धान्त: नास्ति- अभ्यासस्य सिद्धान्त: स्वाभाविकताया: सिद्धान्त: दण्डस्य सिद्धान्त: वैयक्तिकभिन्नताया: सिद्धान्त: Solution ● निम्न सिद्धान्तों में से दण्ड का सिद्धान्त सही नहीं है। भाषा शिक्षण के सिद्धान्त – (1) स्वाभाविकता का सिद्धांत/प्रकृतिवादी सिद्धान्त (2) रुचि का सिद्धांत (3) क्रियाशीलता और अभ्यास का सिद्धांत (4) मौखिककार्य का सिद्धांत (5) अनुपात और क्रम का सिद्धांत (6) वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत (7) समवाय सिद्धान्त (8) चयन और विभाजन का सिद्धांत 9 / 10 9. केन कौशलमाध्यमेन अध्यापक: विषयवस्तुस्पष्टीकरणस्य प्रयासं करोति? प्रवाहकौशलेन भाषणकौशलेन प्रश्नोत्तरकौशलेन श्रवणकौशलेन Solution प्रश्नोत्तर कौशल – इसका उद्देश्य अभिव्यक्त करना है। इस कौशल में प्रश्नों के माध्यम से अध्यापक विषयवस्तु को स्पष्ट करने का प्रयास करता है। प्रश्न सम्पूर्ण कक्षा को निर्दिष्ट करके पूछा जाना चाहिए। भाषा छात्रों के स्तर के अनुसार हो/प्रश्न क्रमबद्ध तथा संक्षिप्त हो। छात्र सही जवाब दे तो साधु कहकर उनकी प्रशंसा करे। 10 / 10 10. कस्मिन् स्तरे बालकानां विभिन्नवस्तूनां ज्ञानम् अनिश्चितम् अस्पष्टं च भवति? माध्यमिकस्तरे उच्चस्तरे उभयो: प्रारम्भिकस्तरे Solution ● प्रारम्भिक स्तर पर बालकों का विभिन्न वस्तुओं का ज्ञान अनिश्चित व अस्पष्ट होता है। ●प्रारम्भिक स्तर पर मौखिक कार्य की प्रधानता होनी चाहिए। ●माध्यमिक स्तर पर पाठ्यपुस्तक के आधार पर व्याकरण पर बल देना चाहिए। ●उच्च स्तर पर तुलनात्मक अध्ययन-अनुवाद और रचनाकार्य करवाने चाहिए। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now