REET प्रत्यय प्रकरण, उपसर्ग प्रकरण | REET 2025 | संस्कृत | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 22, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /10 28 12345678910 प्रत्यय प्रकरण, उपसर्ग प्रकरण | REET 2025 | संस्कृत | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 10 1. ‘कर्तुम्’ इत्यत्र क: प्रत्यय: वर्तते? क्त्वा शतृ तुमुन् ल्यप् Solution ●कृ + तुमुन् = कर्तुम्।सूत्र – तुमुन्ण्वुलौ क्रियायां क्रियार्थायाम् –अर्थ – क्रियार्थक क्रिया के उपपद में रहते धातु से भविष्यत् अर्थ में ‘तुमुँन्’ और ‘ण्वुल्’ प्रत्यय होता है अर्थात् जब एक क्रिया को करने के लिए दूसरी क्रिया की जाती है तो पूर्वकालिक भविष्यत्कालिक क्रिया से तुमुँन् प्रत्यय का प्रयोग होता है।तुमुँन् प्रत्यय में तुम्/टुम्/ढुम्/धुम् शेष रहता है।तुमुँन् प्रत्ययान्त शब्द अव्यय होते हैं अतः इसके रूप नहीं चलते हैं।तुमुँन् प्रत्यय ‘के लिए’ अर्थ में प्रयुक्त होता है। 2 / 10 2. ‘कथित:’ अत्र धातु: प्रत्ययश्च स्त:? कथ् + क्त कथ् + क्तवतु कथ् + शतृ कथ् + शानच् Solution ●कथ् + क्त = कथित:। कथ् धातु से परे क्त प्रत्यय जोड़ने पर ‘कथित:’ पद निष्पन्न होता है।सूत्र – निष्ठा – धातु से भूतकाल अर्थ में निष्ठा प्रत्ययों (क्त एवं क्तवतु) का प्रयोग होता है।क्त प्रत्यय में क्त (तः, ता, तम्) शेष रहते हैं।क्त प्रत्यय कर्म एवं भाव अर्थ में प्रयुक्त होता है।क्त प्रत्यय में ‘त’ शेष रहता है।इसके रूप तीनों लिङ्गों में होते हैं। 3 / 10 3. ‘पच् + तव्यत्’ इत्यत्र प्रत्यययुक्तं पदं भवति- पचितव्य पच्तव्य पचेतव्य पक्तव्य Solution ●पच् + तव्यत् = पक्तव्य:, पक्तव्या, पक्तव्यम्।तव्यत् – इस प्रत्यय में से अन्तिम ‘त्’ का लोप हो जाता है तथा ‘तव्य’ ही शेष रहता है।●यह प्रत्यय वलादि आर्धधातुक है, अत: यथा प्राप्त इट् आगम होता है।●आर्धधातुक होने से गुण कार्य होता है।●इसके रूप तीनों लिङ्गों में होते हैं। 4 / 10 4. ‘रोच्यम्’ इत्यत्र क: प्रत्यय: – यत् ल्यप् ण्यत् क्यप् Solution ●रुच् धातु से ण्यत् प्रत्यय लगाने पर रोच्यम् पद निष्पन्न होता है।सूत्र – ऋहलोर्ण्यत्ऋकारान्त धातु और हलन्त धातुओं से भाव एवं कर्म में ण्यत् प्रत्यय होता है। इसमें ‘य’ शेष रहता है तथा णित् होने से धातु के स्वर को वृद्धि हो जाती है।ण्यत् प्रत्ययान्त शब्दों के रूप तीनों लिङ्गों में चलते हैं।ण्यत् प्रत्यय योग्यता अथवा चाहिए अर्थ में प्रयुक्त होता है। 5 / 10 5. ‘कर्ता’ इत्यत्र क: प्रत्यय:? ता तृच् क्त शतृ Solution ●कृ + तृच् = कर्ता, कर्त्री, कर्तृ।सूत्र – ण्वुल्तृचौकर्त्ता या ‘वाला’ के अर्थ में धातु से तृच् प्रत्यय होता है। तृच् का ‘तृ’ शेष रहता है। तृच् प्रत्यय लगने पर धातु के स्वर को गुण होता है।तृच् प्रत्यय के रूप तीनों लिङ्गों में चलते हैं।तृच् प्रत्यय कर्ता अर्थ में प्रयुक्त होता है। 6 / 10 6. ‘अधीक्षक:’ इत्यत्र उपसर्ग: अस्ति? अधी अध अधि अध् Solution ●अधि + ईक्षक = अधीक्षक:। यहाँ ‘अधि’ उपसर्ग का प्रयोग हुआ है। 7 / 10 7. ‘प्राचार्य:’ इत्यत्र ‘प्र’ उपसर्ग: कस्मिन् अर्थे – प्रगत अपकृष्ट समीप पूर्व Solution ●प्रगत: आचार्य: इति प्राचार्य:। यहाँ ‘प्र’ उपसर्ग प्रगत अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। 8 / 10 8. उपसर्गसंज्ञाविधायकं सूत्रं वर्तते – चादयोऽसत्वे भूवादयो धातव उपसर्गस्य उपसर्गा: क्रियायोगे Solution ●उपसर्गा: क्रियायोगे सूत्र के अनुसार क्रिया/धातु के साथ योग होने पर प्र, परा इत्यादि शब्दों की धातु संज्ञा होती है तथा यह सूत्र उपसर्ग संज्ञा का विधायक है। 9 / 10 9. ‘संस्कृतम्’ अत्र क: उपसर्ग: वर्तते? स सस् सम् क्त Solution ●‘सम्’ उपसर्ग पूर्वक ‘कृ’ धातु से परे ‘क्त’ प्रत्यय जोड़ने पर संस्कृत पद निष्पन्न होता है। 10 / 10 10. ‘निर्’ उपसर्गस्य उदाहरणमस्ति – निस्सरति निष्ठुर निष्ठुर निर्जन Solution ●निर् + जन: = निर्जन: पद में ‘निर्’ उपसर्ग है।निस् + सरति = निस्सरतिनिस् + ठुर: = निष्ठुर:, नि + वास: = निवास: Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now