REET Level 2nd गणित & विज्ञान की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए यह फ्री टेस्ट सीरीज बेहद उपयोगी है। इस मॉडल पेपर 1 में 150 प्रश्न शामिल हैं, जो मनोविज्ञान (30 प्रश्न), हिंदी (30 प्रश्न), संस्कृत (30 प्रश्न) और गणित & विज्ञान (60 प्रश्न) से संबंधित हैं। 2025 में REET परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए इस टेस्ट सीरीज का अभ्यास जरूर करें।
विषयवार प्रश्न संख्या:
विषय प्रश्न संख्या मनोविज्ञान 30 हिंदी 30 संस्कृत 30 गणित & विज्ञान 60 कुल 150
REET, REET Level 2, गणित & विज्ञान, टेस्ट सीरीज, मॉडल पेपर, मनोविज्ञान, हिंदी, संस्कृत, Free, 2025, Important Questions, REET Exam, REET Preparation, Online Test, Mock Test.
Report a question
60
Model Paper 1: REET लेवल 2nd गणित विज्ञान | Full Length Test 150 प्रश्न | भाषा: हिंदी | संस्कृत
31 / 150
31. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
गद्यांश में आया ‘हिंसा’ शब्द है–
Solution
‘हिंसा’ शब्द भाववाचक संज्ञा है।
भाववाचक संज्ञा अर्थात् जिन संज्ञा शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु के स्थान, गुण, दोष, धर्म, अवस्था या भाव का बोध हो, वह भाववाचक संज्ञा कहलाती है; जैसे– हिंसा, बचपन।
32 / 150
32. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
‘उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है।’ वाक्य में ‘उससे’ शब्द है–
Solution
‘उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है।‘ वाक्य में ‘उससे’ शब्द अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम का उदाहरण है।
33 / 150
33. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
‘अत्यन्त’ शब्द में संधि है–
Solution
अति + अन्त = अत्यन्त
यहाँ पर ‘इ’ के स्थान पर ‘य्’ आदेश होने के कारण यण् संधि है।
34 / 150
34. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
“चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं।” वाक्य में रेखांकित पद है–
Solution
“चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं।“ वाक्य में रेखांकित पद संख्यावाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण अर्थात् जो विशेषण किसी व्यक्ति, प्राणी या वस्तु की संख्या से संबंधित विशेषता का बोध कराएँ, वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे– रमेश ने दो दर्जन केले खरीदे।
35 / 150
35. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
‘सुसंस्कारित’ शब्द में उपसर्ग, मूल शब्द व प्रत्यय है–
Solution
सुसंस्कारित = सु + संस्कार + इत।
अर्थात् सु = अच्छे, संस्कारित अर्थात् संस्कारों से युक्त अर्थात् इसका पूर्ण अर्थ होगा– अच्छे संस्कारों से युक्त।
36 / 150
36. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
‘ईर्ष्या’ शब्द का पर्यायवाची नहीं है–
Solution
‘इंगित’‘इशारा’ शब्द का पर्यायवाची है।
कुढ़न, अमर्ष और डाह ये तीनों शब्द ‘ईर्ष्या’ के पर्यायवाची हैं।
37 / 150
37. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
‘माता-पिता’ शब्द का सही समास-विग्रह है–
Solution
माता-पिता – माता और पिता (द्वंद्व समास)
38 / 150
38. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
‘शर्मनाक’ शब्द है–
Solution
‘शर्मनाक’ शब्द विशेषण है।
39 / 150
39. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
‘वृद्धि’ शब्द का उचित विलोम है–
Solution
वृद्धि – ह्रास
कम – ज्यादा
अति – अल्प
40 / 150
40. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।
‘आँख’ तद्भव शब्द का तत्सम रूप है–
Solution
‘आँख’ तद्भव शब्द का तत्सम रूप है– ‘अक्षि’
‘नोन’ तद्भव शब्द का तत्सम रूप – ‘लवण’
‘नोचना’ तद्भव शब्द का तत्सम रूप – ‘लुंचन’
‘नैन’ तद्भव शब्द का तत्सम रूप – ‘नयन’
59 / 150
Solution
श्रव्य सहायक सामग्री – लिंग्वाफोन, टेप रिकॉर्डर, ग्रामोफोन, रेडियो आदि।
दृश्य सहायक सामग्री – ग्राफ, श्यामपट्ट, बुलेटिन बोर्ड, मानचित्र, ग्लोब, रेखाचित्र, स्लाइड्स, फिल्म स्ट्रिप्स आदि।
दृश्य-श्रव्य सामग्री - चलचित्र, टेलीविजन, अभिनय, विद्यालय प्रोजेक्ट आदि।
अतिरिक्त जानकारी -
भाषा-शिक्षण में श्रव्य-दृश्य साधनों के प्रयोग से निम्नलिखित लाभ है-
• साहित्य में आये हुए काल्पनिक दृश्यों को स्थूल आकार मिल जाता है।
• सूक्ष्म चिन्तन की ओर प्रवृत्त होने के पूर्व चिन्तन को ठोस सामग्री मिल जाती है।
• भाषा-शिक्षण में आजकल शाब्दिकता बहुत अधिक है।
• पाठ रोचक एवं आकर्षक बन जाता है।
• सीखना स्थायी हो जाता है।
64 / 150
64. भ्रष्टाचारः न केवलं भारतस्य अपितु अखिलस्यापि विश्वस्य ज्वलन्ता समस्या अस्ति। 'भ्रष्टाचारः' इति नाम श्रुत्वैव जनानां मनस्सु नैकविधानि विचाराणि समुत्पद्यन्ते, किन्तु विचाराणि यथा आगच्छन्ति तथैव यान्ति च। अस्याः समस्यायाः उत्तरदायी, कश्चास्याः जनकः इति प्रश्नः पौनः पुन्येन भूयते। वास्तविकरूपेण वयमेव अस्याः समस्यायाः जनकत्वं सम्पादयामः। यदि अस्माकं किमपि लघुकार्यं भवति चेत् वयम् अधिकारिभ्यः उत्कोचधनं दमः, यतः असमाकं कार्यम् अविलम्बेन स्यात्। किन्तु एवं न कृत्वा वयं स्वकार्यं विना उत्कोचधनेन कारयामश्चेत् आस्माकीनः देशः भ्रष्टाचारमुक्तः भवितुं शक्यते।
‘समुत्पद्यन्ते' इत्यत्र कति उपसर्गाः?
Solution
● समुत्पद्यन्ते – सम् + उद् + पद्
‘समुत्पद्यन्ते’ पद में सम्, उद् दो उपसर्गों का प्रयोग हुआ है।
● सम् उपसर्ग से तात्पर्य – सुष्ठु, अच्छा, उचित
● उद् उपसर्ग से तात्पर्य – ऊँचा, ऊपर
यथा:-
संपठति, संहरति, संस्करोति, सम्भवति
उत्तिष्ठति, उदाहरति, उत्पद्यते।
66 / 150
66. “अर्थो हि कन्यापरकीय एव
तामद्य संप्रेष्य परिग्रहीतुः ।
जातोममायं विशदः प्रकामं
प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा ।।”
पद्यांशे छन्दः अस्ति-
Solution
● इन्द्रवजा छन्द के प्रत्येक चरण में 11 वर्ण होते हैं जो क्रमशः तगण, तगण, जगण व दो वर्ण गुरु होते हैं। इसमें चार चरण होते हैं लक्षण है—स्यादिन्द्रवज्रा यदि तो जगौ गः।
68 / 150
68. भ्रष्टाचारः न केवलं भारतस्य अपितु अखिलस्यापि विश्वस्य ज्वलन्ता समस्या अस्ति। 'भ्रष्टाचारः' इति नाम श्रुत्वैव जनानां मनस्सु नैकविधानि विचाराणि समुत्पद्यन्ते, किन्तु विचाराणि यथा आगच्छन्ति तथैव यान्ति च। अस्याः समस्यायाः उत्तरदायी, कश्चास्याः जनकः इति प्रश्नः पौनः पुन्येन भूयते। वास्तविकरूपेण वयमेव अस्याः समस्यायाः जनकत्वं सम्पादयामः। यदि अस्माकं किमपि लघुकार्यं भवति चेत् वयम् अधिकारिभ्यः उत्कोचधनं दमः, यतः असमाकं कार्यम् अविलम्बेन स्यात्। किन्तु एवं न कृत्वा वयं स्वकार्यं विना उत्कोचधनेन कारयामश्चेत् आस्माकीनः देशः भ्रष्टाचारमुक्तः भवितुं शक्यते
‘भ्रष्टाचार' इत्यत्र सन्धिः वर्तते?
Solution
● भ्रष्टाचार: भ्रष्ट + आचार:
अ + आ = आ (दीर्घ सन्धि)
भ्रष्टाचार:
● अक: सवर्णे दीर्घ: - अक् के आगे, सवर्ण स्वर के रहने पर दीर्घ एकादेश होता है। एकादेश से यहाँ तात्पर्य दो स्वरों के स्थान पर एक ही स्वर के आदेश होने से है।
69 / 150
69. “अर्थो हि कन्यापरकीय एव
तामद्य संप्रेष्य परिग्रहीतुः ।
जातोममायं विशदः प्रकामं
प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा ।।”
‘इवान्तरात्मा' पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरु?
Solution
● इवान्तर + आत्मा – दीर्घ स्वर सन्धि।
70 / 150
70. “अर्थो हि कन्यापरकीय
एव तामद्य संप्रेष्य परिग्रहीतुः ।
जातोममायं विशदः प्रकामं
प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा ।।”
‘आत्मा' शब्दे लिङ्गः अस्ति–
Solution
● आत्मा- मूल शब्द आत्मन् तव्यत् शब्द पुल्लिङ्ग माने जाते हैं। जैसे—राजा में राजन् मूल शब्द ।
111 / 150
111. वायुमण्डल में सर्वाधिक मात्रा किस गैस की हैं?
Solution
वायुमण्डलीय हवा का सर्वाधिक घटक नाइट्रोजन है। वायुमण्डल में पाई जाने वाली गैसों का प्रतिशत –
नाइट्रोजन (N2 ) 78%
ऑक्सीजन (O2 ) 21%
आर्गन (Ar) 0.93%
कार्बन डाइऑक्साइड 0.03%
अन्य 0.04%
126 / 150
126. निम्नलिखित को सुमेलित करते हुए सही कूट का चयन कीजिए-
संघ
उत्सर्जी अंग
(1) एस्केहेल्मिन्थीज
(i) ज्वाला कोशिकाएँ
(2) ऐनेलिडा
(ii) रेनेट कोशिकाएँ
(3) प्लेटीहेल्मिन्थीज
(iii) मैलपीघी काय
(4) आथ्रोपोडा
(iv) प्रोटोनेफ्रिडिया
कूट-
1 (ii), 2(iv), 3(i), 4(iii)
1 (i), 2(ii), 3(iii), 4(iv)
1 (iv), 2(ii), 3(iii), 4(i)
1 (iv), 2(iii), 3(ii), 4(i)
Solution
-प्लेटीहेल्मिन्थीज – ज्वाला कोशिकाएँ
-एस्केहेल्मिन्थीज – रेनेट कोशिकाएँ
-आथ्रोपोडा – मैलपीघी काय
-ऐनेलिडा – प्रोटोनेफ्रिडिया
144 / 150
Solution
2
240
2
120
2
60
2
30
3
15
5
5
1
240 = 24 ×31 ×51
सम गुणनखण्डों की संख्या = 4×2×2 = 16
Your score is
पुनः प्रारम्भ करे
आपको यह क्विज कैसी लगी ....रेटिंग दे | धन्यवाद 😍
👇👇