Model Paper 1: REET Level 2nd गणित&विज्ञान फ्री टेस्ट सीरीज 2025 | महत्वपूर्ण प्रश्न |

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REET Level 2nd गणित & विज्ञान की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए यह फ्री टेस्ट सीरीज बेहद उपयोगी है। इस मॉडल पेपर 1 में 150 प्रश्न शामिल हैं, जो मनोविज्ञान (30 प्रश्न), हिंदी (30 प्रश्न), संस्कृत (30 प्रश्न) और गणित & विज्ञान (60 प्रश्न) से संबंधित हैं। 2025 में REET परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए इस टेस्ट सीरीज का अभ्यास जरूर करें।

विषयवार प्रश्न संख्या:

विषयप्रश्न संख्या
मनोविज्ञान30
हिंदी30
संस्कृत30
गणित & विज्ञान60
कुल150

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Model Paper 1: REET लेवल 2nd गणित विज्ञान | Full Length Test 150 प्रश्न | भाषा: हिंदी | संस्कृत

Model Paper 1: REET लेवल 2nd गणित विज्ञान | Full Length Test 150 प्रश्न | भाषा: हिंदी | संस्कृत

🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴

✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे |
✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे |
✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा |
✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है |

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31. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

गद्यांश में आया ‘हिंसा’ शब्द है–

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32. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

‘उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है।’ वाक्य में ‘उससे’ शब्द है–

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33. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

‘अत्यन्त’ शब्द में संधि है–

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34. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं।” वाक्य में रेखांकित पद है–

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35. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

‘सुसंस्कारित’ शब्द में उपसर्ग, मूल शब्द व प्रत्यय है–

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36. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

‘ईर्ष्या’ शब्द का पर्यायवाची नहीं है–

37 / 150

37. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

‘माता-पिता’ शब्द का सही समास-विग्रह है–

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38. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

‘शर्मनाक’ शब्द है–

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39. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

‘वृद्धि’ शब्द का उचित विलोम है–

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40. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए–
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूँजी निवेश को खुली छुट दे रखी है जिसके कारण दूरदर्शन में ऐसे विज्ञापनों की भरमार हो गई है, जो उन्मुक्त वासना, हिंसा, अपराध, लालच और ईर्ष्या जैसी मानव की हीनतम प्रवृत्तियों को आधार मानकर चल रहे हैं। अत्यन्त खेद का विषय है कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भोंडी नकल की ठान ली है। आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, सुनाया जा रहा है, उससे भारतीय जीवन मूल्यों का दूर का भी रिश्ता नहीं है, वे सत्य से भी कोसों दूर हैं। नई पीढ़ी, जो स्वयं में रचनात्मक गुणों के विकास करने की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है, उसका भगवान ही मालिक है। जो असत्य है, वह सत्य नहीं हो सकता। समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नहीं होगा तो समाज शव बनेगा ही। आज ही मजबूरी हो गई है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले वासनायुक्त अश्लील दृश्यों से चार पीढ़ियाँ एक साथ आँखें चार कर रही हैं। नतीजा सामने है।
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि। ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाए और सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओं पर अपनी कमर चलकाने लगे हैं। ऐसे जो शिव नहीं, वह सुन्दर कैसे हो सकता है? यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार-संहिता लागू की जानी चाहिए। जिसमें सम्मिलित किया जाए कि समाचार-पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर मर्यादित व सभ्य कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाए। समाज के गणमान्य लोगों, माता-पिता अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा, जिससे अश्लील विज्ञापनों, अमर्यादित टी.वी. कार्यक्रमों पर रोक लग सके।

‘आँख’ तद्भव शब्द का तत्सम रूप है–

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41. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का सबसे उचित विकल्प चुनिए–
“ठीक है, दर्पण में तुम दूसरों को नहीं देख सकते। तुम जानते हो कि खिड़की में लगा काँच और यह दर्पण एक ही मूल पदार्थ से बने हैं। तुम स्वयं की तुलना काँच के इन दोनों रूपों से करके देखो। जब यह साधारण है तो तुम्हें सभी दिखते हैं और उन्हें देखकर तुम्हारे भीतर करुणा जागती है और जब इस काँच पर चाँदी का लेप हो जाता है, तो तुम स्वयं को देखने लगते हो।”
“तुम्हारा जीवन भी तभी महत्त्वपूर्ण बनेगा जब तुम अपनी आँखों पर लगी चाँदी की परत को उतार दो।”

‘दर्पण’ शब्द का उचित अर्थ है–

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42. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का सबसे उचित विकल्प चुनिए–
“ठीक है, दर्पण में तुम दूसरों को नहीं देख सकते। तुम जानते हो कि खिड़की में लगा काँच और यह दर्पण एक ही मूल पदार्थ से बने हैं। तुम स्वयं की तुलना काँच के इन दोनों रूपों से करके देखो। जब यह साधारण है तो तुम्हें सभी दिखते हैं और उन्हें देखकर तुम्हारे भीतर करुणा जागती है और जब इस काँच पर चाँदी का लेप हो जाता है, तो तुम स्वयं को देखने लगते हो।”
“तुम्हारा जीवन भी तभी महत्त्वपूर्ण बनेगा जब तुम अपनी आँखों पर लगी चाँदी की परत को उतार दो।”

‘ठीक है, दर्पण में तुम दूसरों को नहीं देख सकते।‘ वाक्य में प्रयुक्त काल है–

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43. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का सबसे उचित विकल्प चुनिए–
“ठीक है, दर्पण में तुम दूसरों को नहीं देख सकते। तुम जानते हो कि खिड़की में लगा काँच और यह दर्पण एक ही मूल पदार्थ से बने हैं। तुम स्वयं की तुलना काँच के इन दोनों रूपों से करके देखो। जब यह साधारण है तो तुम्हें सभी दिखते हैं और उन्हें देखकर तुम्हारे भीतर करुणा जागती है और जब इस काँच पर चाँदी का लेप हो जाता है, तो तुम स्वयं को देखने लगते हो।”
“तुम्हारा जीवन भी तभी महत्त्वपूर्ण बनेगा जब तुम अपनी आँखों पर लगी चाँदी की परत को उतार दो।”

‘आँख’ एकवचन शब्द का बहुवचन रूप होगा–

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44. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का सबसे उचित विकल्प चुनिए–
“ठीक है, दर्पण में तुम दूसरों को नहीं देख सकते। तुम जानते हो कि खिड़की में लगा काँच और यह दर्पण एक ही मूल पदार्थ से बने हैं। तुम स्वयं की तुलना काँच के इन दोनों रूपों से करके देखो। जब यह साधारण है तो तुम्हें सभी दिखते हैं और उन्हें देखकर तुम्हारे भीतर करुणा जागती है और जब इस काँच पर चाँदी का लेप हो जाता है, तो तुम स्वयं को देखने लगते हो।”
“तुम्हारा जीवन भी तभी महत्त्वपूर्ण बनेगा जब तुम अपनी आँखों पर लगी चाँदी की परत को उतार दो।”

निम्नलिखित में से स्त्रीलिंग शब्द है–

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45. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का सबसे उचित विकल्प चुनिए–
“ठीक है, दर्पण में तुम दूसरों को नहीं देख सकते। तुम जानते हो कि खिड़की में लगा काँच और यह दर्पण एक ही मूल पदार्थ से बने हैं। तुम स्वयं की तुलना काँच के इन दोनों रूपों से करके देखो। जब यह साधारण है तो तुम्हें सभी दिखते हैं और उन्हें देखकर तुम्हारे भीतर करुणा जागती है और जब इस काँच पर चाँदी का लेप हो जाता है, तो तुम स्वयं को देखने लगते हो।”
“तुम्हारा जीवन भी तभी महत्त्वपूर्ण बनेगा जब तुम अपनी आँखों पर लगी चाँदी की परत को उतार दो।”

गद्यांश में आया ‘करुणा’ शब्द का अर्थ है–

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61. भ्रष्टाचारः न केवलं भारतस्य अपितु अखिलस्यापि विश्वस्य ज्वलन्ता समस्या अस्ति। 'भ्रष्टाचारः' इति नाम श्रुत्वैव जनानां मनस्सु नैकविधानि विचाराणि समुत्पद्यन्ते, किन्तु विचाराणि यथा आगच्छन्ति तथैव यान्ति च। अस्याः समस्यायाः उत्तरदायी, कश्चास्याः जनकः इति प्रश्नः पौनः पुन्येन भूयते। वास्तविकरूपेण वयमेव अस्याः समस्यायाः जनकत्वं सम्पादयामः। यदि अस्माकं किमपि लघुकार्यं भवति चेत् वयम् अधिकारिभ्यः उत्कोचधनं दमः, यतः असमाकं कार्यम् अविलम्बेन स्यात्। किन्तु एवं न कृत्वा वयं स्वकार्यं विना उत्कोचधनेन कारयामश्चेत् आस्माकीनः देशः भ्रष्टाचारमुक्तः भवितुं शक्यते।

‘कारयामः' इत्यत्र वचनं किम्?

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63. “अर्थो हि कन्यापरकीय एव
तामद्य संप्रेष्य परिग्रहीतुः ।
जातोममायं विशदः प्रकामं
प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा ।।”

‘सम्प्रेष्य' शब्दे प्रत्यय अस्ति-

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64. भ्रष्टाचारः न केवलं भारतस्य अपितु अखिलस्यापि विश्वस्य ज्वलन्ता समस्या अस्ति। 'भ्रष्टाचारः' इति नाम श्रुत्वैव जनानां मनस्सु नैकविधानि विचाराणि समुत्पद्यन्ते, किन्तु विचाराणि यथा आगच्छन्ति तथैव यान्ति च। अस्याः समस्यायाः उत्तरदायी, कश्चास्याः जनकः इति प्रश्नः पौनः पुन्येन भूयते। वास्तविकरूपेण वयमेव अस्याः समस्यायाः जनकत्वं सम्पादयामः। यदि अस्माकं किमपि लघुकार्यं भवति चेत् वयम् अधिकारिभ्यः उत्कोचधनं दमः, यतः असमाकं कार्यम् अविलम्बेन स्यात्। किन्तु एवं न कृत्वा वयं स्वकार्यं विना उत्कोचधनेन कारयामश्चेत् आस्माकीनः देशः भ्रष्टाचारमुक्तः भवितुं शक्यते।

‘समुत्पद्यन्ते' इत्यत्र कति उपसर्गाः?

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65. भ्रष्टाचारः न केवलं भारतस्य अपितु अखिलस्यापि विश्वस्य ज्वलन्ता समस्या अस्ति। 'भ्रष्टाचारः' इति नाम श्रुत्वैव जनानां मनस्सु नैकविधानि विचाराणि समुत्पद्यन्ते, किन्तु विचाराणि यथा आगच्छन्ति तथैव यान्ति च। अस्याः समस्यायाः उत्तरदायी, कश्चास्याः जनकः इति प्रश्नः पौनः पुन्येन भूयते। वास्तविकरूपेण वयमेव अस्याः समस्यायाः जनकत्वं सम्पादयामः। यदि अस्माकं किमपि लघुकार्यं भवति चेत् वयम् अधिकारिभ्यः उत्कोचधनं दमः, यतः असमाकं कार्यम् अविलम्बेन स्यात्। किन्तु एवं न कृत्वा वयं स्वकार्यं विना उत्कोचधनेन कारयामश्चेत् आस्माकीनः देशः भ्रष्टाचारमुक्तः भवितुं शक्यते।

‘भवितुम्' इत्यत्र प्रत्ययः वर्तते -

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66. “अर्थो हि कन्यापरकीय एव

तामद्य संप्रेष्य परिग्रहीतुः ।

जातोममायं विशदः प्रकामं

प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा ।।”

पद्यांशे छन्दः अस्ति-

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67. भ्रष्टाचारः न केवलं भारतस्य अपितु अखिलस्यापि विश्वस्य ज्वलन्ता समस्या अस्ति। 'भ्रष्टाचारः' इति नाम श्रुत्वैव जनानां मनस्सु नैकविधानि विचाराणि समुत्पद्यन्ते, किन्तु विचाराणि यथा आगच्छन्ति तथैव यान्ति च। अस्याः समस्यायाः उत्तरदायी, कश्चास्याः जनकः इति प्रश्नः पौनः पुन्येन भूयते। वास्तविकरूपेण वयमेव अस्याः समस्यायाः जनकत्वं सम्पादयामः। यदि अस्माकं किमपि लघुकार्यं भवति चेत् वयम् अधिकारिभ्यः उत्कोचधनं दमः, यतः असमाकं कार्यम् अविलम्बेन स्यात्। किन्तु एवं न कृत्वा वयं स्वकार्यं विना उत्कोचधनेन कारयामश्चेत् आस्माकीनः देशः भ्रष्टाचारमुक्तः भवितुं शक्यते।

‘भ्रष्टाचारमुक्तः' इत्यत्र समासः?

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68. भ्रष्टाचारः न केवलं भारतस्य अपितु अखिलस्यापि विश्वस्य ज्वलन्ता समस्या अस्ति। 'भ्रष्टाचारः' इति नाम श्रुत्वैव जनानां मनस्सु नैकविधानि विचाराणि समुत्पद्यन्ते, किन्तु विचाराणि यथा आगच्छन्ति तथैव यान्ति च। अस्याः समस्यायाः उत्तरदायी, कश्चास्याः जनकः इति प्रश्नः पौनः पुन्येन भूयते। वास्तविकरूपेण वयमेव अस्याः समस्यायाः जनकत्वं सम्पादयामः। यदि अस्माकं किमपि लघुकार्यं भवति चेत् वयम् अधिकारिभ्यः उत्कोचधनं दमः, यतः असमाकं कार्यम् अविलम्बेन स्यात्। किन्तु एवं न कृत्वा वयं स्वकार्यं विना उत्कोचधनेन कारयामश्चेत् आस्माकीनः देशः भ्रष्टाचारमुक्तः भवितुं शक्यते

‘भ्रष्टाचार' इत्यत्र सन्धिः वर्तते?

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69. “अर्थो हि कन्यापरकीय एव

तामद्य संप्रेष्य परिग्रहीतुः ।

जातोममायं विशदः प्रकामं

प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा ।।”

‘इवान्तरात्मा' पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरु?

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70. “अर्थो हि कन्यापरकीय

एव तामद्य संप्रेष्य परिग्रहीतुः ।

जातोममायं विशदः प्रकामं

प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा ।।”

‘आत्मा' शब्दे लिङ्गः अस्ति–

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71. “अर्थो हि कन्यापरकीय एव
तामद्य संप्रेष्य परिग्रहीतुः ।
जातोममायं विशदः प्रकामं
प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा ।।”

‘परिग्रहीतुः' पदे उपसर्गः अस्ति-

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83. 5.20 कृते संस्कृतपदं वर्तते -

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102. 'मेथेटिक्स' अभिक्रमित अनुदेशन प्रणाली के प्रवर्तक कौन थे?

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103. पर्यवेक्षण-अध्ययन का सैद्धान्तिक आधार नहीं है-

104 / 150

104. निम्नलिखित में से बालकेन्द्रित विधि नहीं है-
(1) प्रयोजना
(2) प्रयोगशाला
(3) समस्या-समाधान
(4) व्याख्यान
(5) व्याख्यान-प्रदर्शन
कूट:

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105. प्रायोजना विधि में कितने मुख्य सोपान प्रयुक्त होते हैं?

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106. ‘विशिष्ट से सामान्य’ का सिद्धान्त निम्नलिखित में से किसमें प्रयोग होता है?

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107. “अलग-अलग भागों को जोड़ना।” यह सिद्धान्त कहलाता है-

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108. आगमन विधि द्वारा बालकों को प्रेरणा मिलती है-

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109. गणित की भाषा की विशेषता है-

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111. वायुमण्डल में सर्वाधिक मात्रा किस गैस की हैं?

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112. α - कण हैं?

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113. कार्बन मोनो ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण है-

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114. कैल्शियम क्लोराइड का रासायनिक सूत्र क्या है?

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115. सामान्य निश्चेतक का उदाहरण है-

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116. एक पदार्थ दो छोटे सरल अणुओं में टूटता है तो अभिक्रिया होगी–

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118. यदि पृथ्वी और सूर्य की दूरी जो है उनके स्थान पर दुगुनी होती तो सूर्य द्वारा पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल जो पड़ता, वह होता-

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119. ऑटोमोबाइल्स के हाइड्रॉलिक ब्रेक के कार्य करने का सिद्धान्त है-

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120. एक लैम्प 100 J विद्युत ऊर्जा 5 sec. में व्यय करता है तो इसकी शक्ति होगी?

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121. एक 25 cm वाले उत्तल लेंस की क्षमता कितनी होगी?

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122. प्रेशर कुकर में खाना कम समय में पकता है, क्योंकि-

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123. यदि सितार और बाँसुरी पर एक ही स्वर बजाया जाए तो उनसे उत्पन्न ध्वनि का भेद निम्नलिखित में अंतर के कारण किया जा सकता है-

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124. निम्नलिखित में से कौन-सी औषधि है, जिसका उपयोग मलेरिया के उपचार में नहीं किया जाता है?

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125. ‘रक्त समूह’ ‘O’ की खोज किसने की थी?

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126. निम्नलिखित को सुमेलित करते हुए सही कूट का चयन कीजिए-

संघ

      उत्सर्जी अंग

(1) एस्केहेल्मिन्थीज

(i) ज्वाला कोशिकाएँ

(2) ऐनेलिडा

(ii) रेनेट कोशिकाएँ

(3) प्लेटीहेल्मिन्थीज

(iii) मैलपीघी काय

(4) आथ्रोपोडा

(iv) प्रोटोनेफ्रिडिया

कूट-

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127. शुक्राणुओं का निर्माण किसमें होता है?

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128.

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. पुनरुद्भवन (Regeneration) में किसी जीव के टूटे हुए भाग से नए जीव का विकास होता है जो कि जनन के समान है।
2. हाइड्रा में जनन मुकुलन (Budding) के माध्यम से होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

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129.

निम्नलिखित में से कौन-सा असत्य कथन है?
(i) फेफड़ो में तृतीयक श्वसनी विभाजित होकर श्वसनिकाओं में बँट जाती है।
(ii) श्वसनिकाओं के अंतिम सिरे पर कूपिकाएँ होती हैं।
(iii) फेफड़ों की क्रियात्मक व संरचनात्मक इकाई श्वसनिकाएँ हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से असत्य कथन है/हैं?

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130. तारककाय कोशिका में उपस्थित होते हैं -

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131. यदि (ab)x2=(ba)x1">\(\left(\frac{a}{b}\right)^{x-2}=\left(\frac{b}{a}\right)^{x-1}\) तब x का मान है?

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132. निर्देश :- नीचे दिया गया दण्ड आलेख एक सप्ताह में किसी कॉल सेंटर द्वारा प्राप्त कॉल्स की संख्या दिखाता है। दण्ड आलेख का अध्ययन कीजिये और दिये गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये।

प्रति दिन प्राप्त कॉल्स की औसत संख्या मंगलवार को प्राप्त कॉल्स की संख्या से कितनी अधिक है?

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