113. निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए–
सुखी सफल और उत्तम जीवन जीने के लिए किए गए आचरण और प्रयत्नों का नाम ही धर्म है। देश, काल और सामाजिक मूल्यों की दृष्टि से संसार में भारी विविधता है, अतएव अपने-अपने ढंग से जीवन को पूर्णता की ओर ले जाने वाले विविध धर्मों के बीच भी ऊपर से विविधता दिखाई देती है। आदमी का स्वभाव है कि वह अपने विचारों और जीने के तौर तरीकों को तथा अपनी भाषा और खानपान को सर्वश्रेष्ठ मानता है तथा चाहता है कि लोग उसी का अनुसरण करें; यथाशक्ति दूसरों से अपने धर्म को श्रेष्ठतर समझते हुए वह चाहता है कि सभी लोग उसे अपनाएँ। इसके लिए वह जोर-जबर्दस्ती को भी बुरा नहीं समझता। धर्म के नाम पर होने वाले जातिगत विद्वेष, मारकाट और हिंसा के पीछे मनुष्य की यही स्वार्थ-भावना काम करती है।
‘आचरण और प्रयत्नों का नाम ही धर्म है।’ वाक्य में रेखांकित शब्द में अव्यय है–
Solution
आचरण और प्रयत्नों का नाम ही धर्म है।’ वाक्य में रेखांकित शब्द ‘और’ में समुच्चयबोधक अव्यय है।
समुच्चय बोधक अव्यय- वे अव्यय शब्द, जो दो शब्दों/ वाक्यांशों/ वाक्यों/ पदों/ पदबंधों/ उपवाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चय बोधक अव्यय कहते हैं।
विशेष– अर्थ की दृष्टि से समुच्चयबोधक अव्यय सदैव जोड़ने का ही नहीं; अपितु पृथक्ता का भी बोध कराते हैं।
समुच्चय बोधक अव्यय मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं–(कामताप्रसाद गुरु हिंदी व्याकरण के अनुसार–)
(1) समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
(2) व्यधिकरण अथवा असमानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
(1) समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
जिन अव्ययों द्वारा मुख्य वाक्य जोड़े जाते हैं, उन्हें समानाधिकरण समुच्चबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे– और, व, एवं, तथा, या, वा, अथवा, किंवा, कि, या-या, चाहे-चाहे, क्या-क्या, न-न कि, नहीं तो, पर, परंतु, किंतु, लेकिन, मगर, वरन्, बल्कि, अत:, अतएव, सो, इसलिए, अन्यथा, फलत: इत्यादि।
कृष्ण ने कंस को बहुत समझाया; परंतु उसने अनीति का त्याग नहीं किया।
पुलिस ने रात भर नरेश को ढूँढा; मगर वह मिल न सका।
(2) व्यधिकरण अथवा असमानाधिकरण
समुच्चयबोधक अव्यय
जिन अव्ययों के योग से एक वाक्य में एक या अधिक आश्रित वाक्य जोड़े जाते हैं, उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे– क्योंकि, जो कि, ताकि, जिससे, जो-तो, यदि-तो, यद्यपि-तथापि, चाहे-परंतु, मानों इत्यादि।
मैं घर जा रहा हूँ ताकि वहाँ आराम से सो सकूँ।
यद्यपि वह बेईमान है तथापि उसे लोग ईमानदार समझते हैं।