REET स्वर – व्यञ्जन,माहेश्वरसूत्र एवं उच्चारण स्थान | REET 2025 | संस्कृत | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 22, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /10 92 12345678910 स्वर – व्यञ्जन,माहेश्वरसूत्र एवं उच्चारण स्थान | REET 2025 | संस्कृत | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 10 1. माहेश्वर सूत्रेषु कस्य सूत्रस्य मध्ये इत्संज्ञक: भवति? अइउण् झभञ् लण् हल् Solution ● माहेश्वर सूत्रों में लण् सूत्र के मध्य स्थित अकार की इत्सञ्ज्ञा होती है। ● लण् सूत्र में (ल् + अ + ण्) मध्य ‘अ’ की भी इत्संज्ञा हो जाती है। ● महर्षि पाणिनि ने संस्कृत का व्याकरण बनाने की इच्छा से घोर तप करके भगवान् माहेश्वर (शिव) को प्रसन्न किया। प्रसन्न होकर शिव ने नृत्य के साथ जो डमरू वादन किया उसी से महर्षि पाणिनि को ये 14 सूत्र सुनाई पड़े। भगवान् माहेश्वर के डमरू से उत्पन्न होने के कारण इन्हें “माहेश्वर सूत्र” कहा जाता हैं। 2 / 10 2. मकार वर्णस्य उच्चारणस्थानं किम्? कण्ठ ओष्ठ नासिका ओष्ठनासिके Solution ●म् का उच्चारण स्थान ओष्ठनासिका है। क्योंकि वर्ग का पञ्चम अक्षर (ङ् ञ् ण् न् म्) अपने वर्ग के अनुसार तो उच्चारित होता ही है साथ में नासिका भी इनका उच्चारण स्थान होता है। 3 / 10 3. केषा वर्णानामुच्चारणस्थानां नासिका अस्ति? अनुस्वारयमानाञ्च स्वराणाम् अन्त: स्थानाम् ऊष्मणाम् Solution अनुस्वारयमानाञ्च वर्णानां उच्चारण स्थानं नासिका अस्ति। अर्थात् ङ,ञ, ण, न, म और अनुस्वार का उच्चारण स्थान नासिका है। जबकि अन्तस्थ व्यंजन य, व, र, ल हैं। तथा ऊष्म व्यंजन श, ष, स, ह हैं। एवं संस्कृत में स्वरों की संख्या 9 मानी गई है। 4 / 10 4. एषु शुद्धं वर्तते – हयरवट् घढधष् शसषर् जबगदडश् Solution माहेश्वर सूत्रों में शुद्ध क्रम –हयवरट्घढधष्शषसर्जबगडदश् 5 / 10 5. एतेषु संवृत्त: किम् – ए उ द्व अ Solution ह्रस्व ‘अ’ लौकिक प्रयोग में ही संवृत्त होता है। व्याकरण की प्रक्रिया दशा में यह ह्रस्व ‘अ’ विवृत्त ही होगा। अन्य सभी स्वर विवृत्त ही होंगे, चाहे वे प्रक्रिया दशा में हो या लौकिक प्रयोग दशा में। दीर्घ ‘आ’ भी सर्वदा विवृत्त ही होगा। यह संवृत्त – विवृत्त भेद केवल ह्रस्व अकार के लिए किया गया है। 6 / 10 6. एषु क: अयोगवाह: – सकार ऋकार अनुस्वार हकार Solution अयोगवाह: ऐसे वर्ण या चिह्न जिनका पाठ सामान्य वर्णमाला में नहीं है, फिर भी लेखन या उच्चारण में प्रयुक्त होते हैं, अयोगवाह कहलाते हैं। ये अयोगवाह हैं –अनुस्वार, विसर्ग, अर्द्धविसर्ग तथा यम। 7 / 10 7. उष्मवर्ण: क: – पकार यकार हकार लकार Solution वर्णमाला के अनुसार उष्मवर्ण 4 माने गए हैं तथा यह चारों वर्ण शल् प्रत्याहार के अन्तर्गत आते हैं। जैसे – श्, ष्, स्, ह् इनके उच्चारण में मुख में उष्मा का निकास होता है, अत: इन्हें उष्मवर्ण कहा जाता है। 8 / 10 8. दन्त्येषु अन्तर्भवति: – क् प् ल् म् Solution ल् का उच्चारण स्थान दन्त होता है। ‘लृतुलसानां दन्ता:’ अर्थात् लृ, त्, थ्, द्, ध्, न्, ल् और स् का उच्चारण स्थान दन्त होता है। जबकि ‘एदैतो कण्ठतालु’ अर्थात् ए और ऐ का उच्चारण स्थान कण्ठतालु होता है। 9 / 10 9. महाभाष्य केन कृता? कात्यायन पाणिनि पतञ्जलि भट्टोजिदीक्षित Solution पाणिनि, कात्यायन और पतञ्जलि को व्याकरण के त्रिमुनि कहा जाता है।पाणिनि की कृति अष्टाध्यायी, कात्यायन की वार्तिक तथा पतञ्जलि के महाभाष्य को ‘तदुक्ति’ कहा जाता है।महाभाष्यम् – कुल 85 आह्निक। (कुछ मत के अनुसार 84)एक दिन में निवृत्त कार्य को आह्निक कहा जाता है, अत: महाभाष्य को 84/85 दिनों में निर्मित ग्रन्थ माना जाता है। 10 / 10 10. ताल्वादिषु सभागेषु स्थानेषु अधोभागे निष्पन्न: अच् किं संज्ञं स्यात्। उदात्त अनुदात्त स्वरित दीर्घ Solution ●नीचैरनुदात्त: सूत्र के अनुसार तालु इत्यादि उच्चारणस्थानों के अधो भाग से उत्पन्न अच् की अनुदात्त संज्ञा होती है तथा यह सूत्र अनुदात्त संज्ञा का विधायक है। अनुदात्त को निपात/निहत स्वर भी कहते हैं। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now