REET सतत एवं समग्र मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | REET 2025 | मनोविज्ञान | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 26, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /20 26 1234567891011121314151617181920 सतत एवं समग्र मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | REET 2025 | मनोविज्ञान | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 20 1. सी. सी. ई. का पूर्ण रूप क्या है? सतत एवं व्यापक परीक्षा सतत एवं व्यापक मूल्यांकन सतत एवं प्रतियोगी मूल्यांकन सतत एवं जटिल परीक्षा Solution • सी. सी. ई. का पूरा नाम – सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (Continuous and comprehensive evaluation) • CCE में तीन शब्द शामिल हैं- सतत, व्यापक और मूल्यांकन। • CCE के सतत पहलू का अर्थ विभिन्न साधनों/उपकरणों (टूल्स) का उपयोग कर शिक्षण-अधिगम के समय बच्चों को लगातार देखना और उनकी मदद करना है। • CCE के व्यापक पहलू का अर्थ- बच्चे की प्रगति का समग्रता में बोध होना अर्थात् बच्चे के विकास को समग्र रूप से देखना, जैसे- संज्ञानात्मक, शारीरिक और मनो-सामाजिक पहलुओं में प्रगति का ब्यौरा देना। • CCE शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है। यह शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया से पूरी तरह अलग किसी भी परंपरागत गतिविधि के विरुद्ध है। • इसमें विद्यार्थियों के विकास के शैक्षिक और इसके अलावा सह-शैक्षिक पहलुओं का निर्धारण शामिल है। 2 / 20 2. निम्नलिखित में से एक असत्य कथन है- सीखना एक सतत प्रक्रिया है। सीखना चक्रीय होता है सीखना रैखिक होता है। उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution • सीखने की प्रकृति – • सीखना एक सतत प्रक्रिया है। • सीखना चक्रीय होता है, रैखिक नहीं। • सीखने की समग्र प्रकृति। 3 / 20 3. छात्रों की उपलब्धि की जाँच हेतु विद्यालय में जो परीक्षाएँ आयोजित की जाती है, उन्हें कहा जाता है– उपलब्धि परीक्षण निदानात्मक परीक्षण वस्तुनिष्ठ परीक्षण आत्मनिष्ठ परीक्षण Solution उपलब्धि/निष्पत्ति परीक्षण (Achievement Test) • व्यक्ति अपने जीवन में अनेक प्रकार का ज्ञान तथा कौशल प्राप्त करता है। इस ज्ञान तथा कौशल में कितनी दक्षता व्यक्ति ने प्राप्त की है, इसका पता उपलब्धि परीक्षण से चलता है। • उपलब्धि परीक्षण द्वारा किसी विशेष कार्य क्षेत्र में छात्रों द्वारा अर्जित किए गए ज्ञान एवं कौशल को मापा जाता है। विद्यालय में औपचारिक शिक्षण के लिए उपलब्धि का मापन आवश्यक है। शिक्षा प्रक्रिया को पूर्ण एवं प्रभावशाली बनाने एवं अधिगम स्रोतों के कुशल प्रयोग हेतु विशेष प्रेरणा एवं निर्देशन की आवश्यकता होती है। उपलब्धि परीक्षण यह जानने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं कि बालक ने क्या और कितना सीखा है तथा वह कोई कार्य कितनी भली-भाँति कर सकता है। इस प्रकार बालक विद्यालय में रहकर जो कुछ सीखता है, उसे हम उपलब्धि या निष्पत्ति (Achievement) कहते हैं तथा इस उपलब्धि की जाँच हेतु जो परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं, उन्हें उपलब्धि /निष्पत्ति परीक्षण (Achievement Test) कहते हैं। • अत: उपलब्धि परीक्षण वह परीक्षण है, जिसकी सहायता से विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले विषयों और सिखाई जाने वाली कुशलताओं में छात्रों की सफलता या उपलब्धि का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। 4 / 20 4. किसी भी पाठ्यचर्या के क्षेत्र में CCE को लागू करने के लिए शिक्षकों को संबंधित विषय की- प्रकृति समझने की आवश्यकता है। शिक्षाशास्त्र समझने की आवश्यकता है। पद्धति को समझने की आवश्यकता है। उपर्युक्त सभी Solution • शिक्षक CCE को लागू करने में एक सक्रिय भूमिका निभाते हैं। अत: शिक्षकों का व्यावसायिक विकास अत्यंत आवश्यक है। शिक्षकों की समझ बनाने के लिए कुछ बिंदुओं पर विचार करने की आवश्यकता है, जो इस प्रकार है- • यह आवश्यक है कि शिक्षक को पाठ्यचर्या के क्षेत्र, उसकी अपेक्षाओं और सीखने के प्रतिफलों की जानकारी हो। • शिक्षकों और शिक्षक-प्रशिक्षकों के व्यावसायिक विकास को शिक्षक विकास कार्यक्रमों का सतत और आवश्यक भाग माना जाना चाहिए। इस प्रकार शिक्षक बच्चों में सीखने की प्रक्रिया में सुधार लाने वाला एक चिंतनशील और अनुभवी व्यक्ति बन सकेगा। • किसी भी पाठ्यचर्या के क्षेत्र में सी.सी.ई. को लागू करने के लिए उन्हें संबंधित विषय की प्रकृति, शिक्षाशास्त्र और पद्धति को भी समझने की आवश्यकता है। अत: शिक्षण-अधिगम और आकलन को समग्रता के साथ करने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम नियोजित और संचालित किए जाने की आवश्यकता है। 5 / 20 5. निम्नलिखित कथनों पर ध्यान दें तथा दिए गए कूट संकेत के आधार पर सही उत्तर का चयन कीजिए – (i) उपलब्धि परीक्षण द्वारा किसी विशेष क्षेत्र में अर्जित निपुणता तथा ज्ञान को मापा जाता है। (ii) उपलब्धि परीक्षण किसी मानकीकृत विधि पर आधारित नहीं है। (iii) उपलब्धि परीक्षण द्वारा शिक्षकों को छात्रों से गृहकार्य तथा वर्गकार्य की मात्रा का निर्धारण करने में सहूलियत होती है। कूट : केवल (ii) (i) और (iii) (ii) और (iii) (i), (ii) और (iii) Solution • उपलब्धि परीक्षण के स्वरूप के बारे में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होते हैं- • उपलब्धि परीक्षण दिए गए ज्ञान तथा कौशल का मापन करता है। • निष्पत्ति परीक्षण से वर्तमान प्रगति का पता चलता है। • उपलब्धि परीक्षण से छात्रों द्वारा किसी विशेष क्षेत्र में अर्जित निपुणता तथा ज्ञान को मापा जाता है। • प्राय: उपलब्धि परीक्षण एक मानकीकृत विधि पर आधारित होता है। फलस्वरूप इससे प्राप्त परिणामों द्वारा छात्रों के एक समूह की उपलब्धि की तुलना छात्रों के दूसरे समूह की उपलब्धि से की जा सकती है। • उपलब्धि परीक्षण द्वारा शिक्षकों को छात्रों से गृहकार्य तथा वर्गकार्य की मात्रा का निर्धारण करने में सहूलियत होती है। 6 / 20 6. उपलब्धि परीक्षण निर्माण के चरण हैं– परीक्षण की योजना बनाना परीक्षण का अंकन परीक्षण का मूल्यांकन उपर्युक्त सभी Solution • उपलब्धि परीक्षण का निर्माण/चरण :- • उपलब्धि परीक्षण निर्माण में निम्नलिखित पदों का अनुकरण करते हैं- 1. परीक्षण की योजना व तैयारी बनाना। 2. परीक्षण का प्रशासन 3. परीक्षण का अंकन या फलांकन 4. परीक्षण का मूल्यांकन 7 / 20 7. सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाता है- गुणात्मक रूप में मात्रात्मक रूप में सांकेतिक रूप में गुणात्मक व मात्रात्मक रूप में Solution • सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में विद्यार्थियों का गुणात्मक व मात्रात्मक रूप में मूल्यांकन किया जाता है। • सी.सी.ई. में विद्यार्थी के शैक्षिक और इसके अलावा सह-शैक्षिक पहलुओं का निर्धारण शामिल हैं। • मात्रात्मक मूल्यांकन / परिमाणात्मक मूल्यांकन में मौखिक, लिखित व प्रायोगिक परीक्षा होती है तथा गुणात्मक मूल्यांकन में जाँच सूची, अवलोकन, साक्षात्कार व स्तर माप होते हैं। 8 / 20 8. विद्यालय में पोर्टफोलियो- प्रत्येक बच्चे के लिए तैयार किया जाता है। मंद बुद्धि बच्चे के लिए तैयार किया जाता है। प्रखर बुद्धि वाले बच्चे के लिए तैयार किया जाता है। विशेष प्रकार के बच्चे के लिए तैयार किया जाता है। Solution • पोर्टफोलियो का तात्पर्य एक प्रकार की ऐसी फाइल, फोल्डर पॉकेट या स्थान से है, जो प्रत्येक बच्चे के लिए तैयार किया जाता है। • इसमें एक अवधि में एक बच्चे द्वारा किए गए उसके कार्यों का विवरण इकट्ठा किया जाता है। • इसमें लिखित सामग्री शामिल हो सकती है। • पोर्टफोलियो एक अवधि में बच्चे द्वारा किए गए समस्त कार्यों का एक संग्रह है, न कि केवल उनके सर्वोत्तम कार्यों का संग्रह। • पोर्टफोलियो के माध्यम से अध्यापक सीखने की प्रक्रिया के दौरान बच्चों के सीखने में बदलाव से जुड़े साक्ष्य प्राप्त करते हैं और उपयोगी जानकारी विभिन्न पणधारकों, विशेषकर माता-पिता, अभिभावकों और स्वयं बच्चों को उपलब्ध करवाते हैं। • पोर्टफोलियो माता-पिता/अभिभावकों को अपने बच्चों की योग्यताओं और उनकी रुचियों के बारे में और अधिक जानने में मदद करता है, जिनके बारे में उन्हें घर पर पता नहीं चल पाता है। • यह उन्हें शिक्षकों के साथ बच्चों के कार्य प्रदर्शन, प्रगति और विकास पर चर्चा करने में मदद करता है। 9 / 20 9. सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में व्यापक शब्द में शामिल है- विद्यार्थियों के विकास के शैक्षिक पहलुओं का निर्धारण विद्यार्थियों के विकास के सह-शैक्षिक पहलुओं का निर्धारण 1 और 2 दोनों उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution • सतत और व्यापक मूल्यांकन का ‘व्यापक’ संघटक बच्चे के व्यक्तित्व के सर्वतोमुखी विकास के निर्धारण का ध्यान रखता है। • इसमें विद्यार्थियों के विकास के शैक्षिक और इसके अलावा सह-शैक्षिक पहलुओं का निर्धारण शामिल है। • शैक्षिक पहलुओं में पाठ्यक्रम के क्षेत्र अथवा विषय-सापेक्ष क्षेत्र शामिल होते हैं जबकि सह-शैक्षिक पहलुओं में जीवन कौशल, सह-पाठ्यचर्या, अभिवृत्तियाँ और मूल्य शामिल होते हैं। • मूल्यांकन बच्चों के सीखने और विकासात्मक पहलुओं का मानदंड आधारित मानचित्रण है। 10 / 20 10. सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के द्वारा छात्रों के किस व्यवहार पक्ष का मूल्यांकन होता है? 1. ज्ञानात्मक पक्ष 2. भावात्मक पक्ष 3. क्रियात्मक पक्ष कूट : केवल 1 केवल 1 एवं 3 केवल 2 1,2 और 3 Solution • सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के द्वारा छात्रों के ज्ञानात्मक पक्ष, भावात्मक पक्ष एवं क्रियात्मक पक्ष के व्यवहार का मूल्यांकन होता है • CCE में तीन शब्द शामिल हैं- सतत, व्यापक और मूल्यांकन। • CCE के सतत पहलू का अर्थ विभिन्न साधनों/उपकरणों (टूल्स) का उपयोग कर शिक्षण-अधिगम के समय बच्चों को लगातार देखना और उनकी मदद करना है। ध्यान रहे कि किसी भी रूप में इसका अर्थ बार-बार औपचारिक टेस्ट लेना नहीं है। • शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के समय सतत आकलन बच्चों के सीखने में रह गई कमियों की पहचान करने के बारे में संकेत देता है, जिससे अधिगम को बेहतर बनाने के लिए शिक्षक समय पर कार्रवाई कर सकते हैं। • सतत पहलू के अंतर्गत मूल्यांकन के सतत और आवधिक पहलू का ध्यान रखा जाता है। • निरंतरता का अर्थ है- शिक्षा के प्रारम्भ में विद्यार्थियों का निर्धारण (स्थापन्न/नियोजन मूल्यांकन) और शिक्षण प्रक्रिया के दौरान निर्धारण (रचनात्मक/निर्माणात्मक मूल्यांकन), जो मूल्यांकन की बहुविध तकनीकों का उपयोग करके, अनौपचारिक रूप से किया जाता है। सत्र समाप्ति पर (संकलनात्मक / सारांशात्मक / योगात्मक / समाकलनात्मक) मूल्यांकन। • नियतकालिकता का अर्थ है- कार्य निष्पादन का निर्धारण जो यूनिट/ अवधि के समाप्त होने पर बार-बार किया जाता है। (सारांशात्मक)। • CCE के व्यापक पहलू का अर्थ- बच्चे की प्रगति का समग्रता में बोध होना अर्थात् बच्चे के विकास को समग्र रूप से देखना, जैसे- संज्ञानात्मक, शारीरिक और मनो-सामाजिक पहलुओं में प्रगति का ब्यौरा देना। 11 / 20 11. “उपलब्धि परीक्षण बालक की वर्तमान योग्यता या किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में उसके ज्ञान की सीमा का मूल्यांकन है।” यह कथन है – गैरीसन सुपर एबिल फ्रीमैन Solution • गैरीसन– “उपलब्धि परीक्षण बालक की वर्तमान योग्यता या किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में उसके ज्ञान की सीमा का मूल्यांकन करती है।” • सुपर– “एक उपलब्धि या निष्पत्ति परीक्षण यह ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया जाता है कि बालक ने क्या तथा कितना सीख लिया है अथवा वह कोई कार्य कितनी अच्छी तरह से कर सकता है।” • फ्रीमैन– “शैक्षिक उपलब्धि परीक्षण ऐसा परीक्षण है, जिसके द्वारा कोई विशिष्ट विषय या विषयों के समूह में अर्जित किए गए ज्ञान, बोध या कौशल का माप होता है।” 12 / 20 12. उपलब्धि परीक्षण का कार्य नहीं है– श्रेणी विभाजन अधिगम हेतु हतोत्साहित करना शैक्षिक निर्देशन व परामर्श व्यक्तिगत शिक्षण Solution • उपलब्धि परीक्षण के कार्य :- • उपलब्धि परीक्षण के निम्नलिखित कार्य हैं- 1. श्रेणी-विभाजन या वर्गीकरण 2. शैक्षिक निर्देशन व परामर्श 3. व्यक्तिगत शिक्षण 4. अधिगम हेतु प्रेरित एवं निर्देशित करना। 5. निर्देशकों या अध्यापकों को लक्ष्य 6. शैक्षिक स्तर बनाए रखना। 7. शिक्षण विधि के चयन में सहायता देना। 8. अध्यापक एवं विभागों का मूल्यांकन करना। 13 / 20 13. उपलब्धि परीक्षण का/के उद्देश्य है/हैं– बालकों की उपलब्धि के सामान्य स्तर को निर्धारित करना शिक्षण विधियों की उपयुक्तता की जाँच करना। बालकों की प्रगति का तुलनात्मक अध्ययन करना। उपर्युक्त सभी Solution • उपलब्धि परीक्षण के उद्देश्य– • इस परीक्षण द्वारा छात्रों द्वारा अर्जित निपुणता को मापा जाता है। • बालकों की उपलब्धि के सामान्य स्तर को निर्धारित करना। • पाठ्यक्रम के लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर बालकों की प्रगति की जानकारी करना। • बालकों की विभिन्न विषयों और क्रियाओं में वास्तविक स्थिति का पता लगाना। • ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में दिए गए प्रशिक्षण के परिणामों का मूल्यांकन करना। • शिक्षण विधियों की उपयुक्तता की जाँच करना। • प्रचलित पाठ्यक्रम में आवश्यक परिवर्तन करना। • बालकों की प्रगति का तुलनात्मक अध्ययन करना। • यह पता लगाना कि शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति हुई या नहीं। • बालकों की अधिगम कठिनाइयों का पता लगाना। • बालकों में विभिन्न कौशलों का विकास करना। 14 / 20 14. शिक्षण में छात्रों के कमजोरियों के कारणों का पता लगाया जा सकता है– उपलब्धि परीक्षण द्वारा निष्पत्ति परीक्षण द्वारा निदानात्मक परीक्षण द्वारा उपर्युक्त सभी Solution निदानात्मक परीक्षण (Diagnostic Test) • शैक्षिक मापन तभी पूर्ण व सार्थक समझा जाता है, जब उपलब्धि परीक्षा के बाद कमजोर छात्रों को निदानात्मक परीक्षा भी दी जाए जिससे उनकी अधिगम कठिनाइयों के कारणों की जानकारी हो सके। • नैदानिक परीक्षा वह परीक्षा होती है जो इस बात का निदान करती है कि विद्यार्थियों ने किन परिस्थितियों में गलतियाँ की हैं, इनकी त्रुटि किस प्रकार की है, त्रुटियाँ करने के क्या कारण है आदि। • नैदानिक परीक्षाएँ भी एक प्रकार से उपलब्धि परीक्षाएँ ही होती हैं जबकि उनका उद्देश्य विद्यार्थियों की गलतियों का पता लगाना होता है। • नैदानिक परीक्षाओं का मुख्य उद्देश्य छात्रों की हिन्दी सम्बन्धी कठिनाइयों एवं कमजोरियों का पता लगाना है। • मूलत: निदान (Diagnosis) शब्द का प्रयोग चिकित्सा विज्ञान में रोगी का इलाज करने से पूर्व उसके लक्षणों का पता लगाने के लिए किया जाता है। बालकों की कठिनाइयों एवं कमजोरियों का पता लगाने के लिए इन परीक्षाओं का प्रयोग किया जाता है। • निदानात्मक परीक्षण व्यक्ति की जाँच करने के पश्चात् किसी एक या अधिक क्षेत्रों में उसकी विशेषताओं एवं कमियों को व्यक्त करता है। इन परीक्षाओं में विद्यार्थियों को अंक प्रदान नहीं किए जाते हैं बल्कि एक कमी या गलती के कारणों का पता लगाया जाता है। 15 / 20 15. सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (सी. सी. ई.) के सहशैक्षिक क्षेत्रों में शामिल है – A. जीवन कौशल B. कार्य शिक्षा C. दृश्य एवं प्रदर्शन कला D. अभिवृत्ति एवं मूल्य कूट : A, B तथा C A, B, C तथा D A, B तथा D A, C तथा D Solution • सी. सी. ई. के सहशैक्षिक क्षेत्र – • जीवन कौशल • कार्य शिक्षा • दृश्य एवं प्रदर्शन कला • अभिवृत्ति एवं मूल्य • पाठ्य सहगामी गतिविधियाँ 16 / 20 16. रूब्रिक्स है- विद्यार्थियों के कार्य को परखने के लिए मानदण्डों का एक समूह शिक्षण विधियों का एक समूह शिक्षण उपकरणों का एक समूह शैक्षिक व सह-शैक्षिक उद्देश्यों का एक समूह Solution • रूब्रिक्स – विद्यार्थियों के कार्य को परखने के लिए मानदंडों का एक समूह होता है, जिसमें कार्य प्रदर्शन की गुणवत्ता के स्तरों का वर्णन होता है। • रूब्रिक्स का उपयोग विद्यार्थियों के कार्य प्रदर्शन की प्रक्रिया और प्राप्त परिणामों के आकलन के लिए किया जा सकता है। • इस अर्थ में रूब्रिक्स विवरणात्मक होते हैं। • अत: इनका उपयोग सिर्फ ग्रेड, अंकों या जाँच-सूचियों द्वारा विद्यार्थी के कार्यों को परखने के लिए नहीं किया जा सकता है। • प्रभावशाली रूब्रिक्स में कार्य प्रदर्शन के मानदंड स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं। 17 / 20 17. CCE में कितने शब्द शामिल है? 2 3 4 5 Solution • CCE संकल्पना :- • CCE शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है। यह शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया से पूरी तरह अलग किसी भी परंपरागत गतिविधि के विरुद्ध है। • CCE में तीन शब्द शामिल हैं- सतत, व्यापक और मूल्यांकन। • CCE के सतत पहलू का अर्थ विभिन्न साधनों/उपकरणों (टूल्स) का उपयोग कर शिक्षण-अधिगम के समय बच्चों को लगातार देखना और उनकी मदद करना है। ध्यान रहे कि किसी भी रूप में इसका अर्थ बार-बार औपचारिक टेस्ट लेना नहीं है। • CCE के व्यापक पहलू का अर्थ- बच्चे की प्रगति का समग्रता में बोध होना अर्थात् बच्चे के विकास को समग्र रूप से देखना, जैसे- संज्ञानात्मक, शारीरिक और मनो-सामाजिक पहलुओं में प्रगति का ब्यौरा देना। 18 / 20 18. उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की जाती है– निदानात्मक परीक्षण के पूर्व निदानात्मक परीक्षण के बाद निदानात्मक परीक्षण के साथ शिक्षण प्रक्रिया में कभी भी Solution • निदानात्मक परीक्षण के बाद उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की जाती है। • उपचारात्मक शिक्षण के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी की किसी भी गलती की अवहेलना नहीं करना। साथ ही साथ परिवर्तित शिक्षण विधियों का समावेश हो। • उपचारात्मक शिक्षण में शिक्षक निर्मित वस्तुनिष्ठ परीक्षण उपयोगी है। 19 / 20 19. डगलस एण्ड हॉलैण्ड के अनुसार उपलब्धि परीक्षण के प्रकार हैं– मानकीकृत परीक्षण अमानकीकृत परीक्षण 1 और 2 दोनों उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution • उपलब्धि परीक्षणों के प्रकार :- • डगलस एण्ड हॉलैण्ड के अनुसार, उपलब्धि परीक्षण के निम्नलिखित प्रकार हैं- 20 / 20 20. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सतत व व्यापक मूल्यांकन के लिए सही नहीं है? यह एक विद्यालय आधारित मूल्यांकन है यह विद्यार्थियों में तनाव को कम करता है इसमें नम्बरों के स्थान पर ग्रेड का प्रयोग होता है इससे शिक्षकों पर बोझ बढ़ जाता है। Solution • सतत व व्यापक मूल्यांकन – • यह एक विद्यालय आधारित मूल्यांकन है • यह विद्यार्थियों में तनाव को कम करता है • इसमें नम्बरों के स्थान पर ग्रेड का प्रयोग होता है Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now