REET शिक्षाशास्त्रीय मुद्दे | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | REET 2025 | मनोविज्ञान | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 26, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /20 104 1234567891011121314151617181920 शिक्षाशास्त्रीय मुद्दे | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | REET 2025 | मनोविज्ञान | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 20 1. सामाजिक अध्ययन में आकलन का मुख्य उद्देश्य है- विद्यार्थियों को वर्गीकृत और चिह्नित करना। विद्यार्थियों को प्रति पुष्टि देना। पाठ्य पुस्तकीय ज्ञान को याद करने की क्षमताओं का विकास करना। विद्यार्थियों के बीच सामाजिक विभेद को दर्शाना। Solution ● सामाजिक अध्ययन में आकलन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को प्रतिपुष्टि देना तथा मानक स्थापित करना, जिनको पाने के लिए वे प्रयासरत हैं। मूल्यांकन से विद्यार्थियों को उचित शैक्षिक एवं व्यावसायिक पथ प्रदर्शन देने में सहायता मिलती है। मूल्यांकन व आकलन बहुमुखी होता है। 2 / 20 2. सामाजिक विज्ञान की प्रकृति के संबंध में सही कथन है– सामाजिक विज्ञान, एक विज्ञान है। सामाजिक विज्ञान, एक कला है। सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और कला दोनों है। उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution • सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और कला दोनों है। सामाजिक विज्ञान की प्रकृति के संबंध में सही कथन है। सामाजिक विज्ञान सामान्य विज्ञान की भाँति तथ्यों के कारण व कार्य (परिणाम) का संबंध स्पष्ट करता है और साथ ही इसका सामान्यीकरण करता है। यह कला की भाँति व्यावहारिकता का ज्ञान भी प्रदान करता है। यहाँ ‘कला’ से अभिप्राय जीवन–जीने की कला से है। अतिरिक्त जानकारी – सामाजिक विज्ञान एक अन्त:अनुशासित (Inter disciplinary) अनुशासन (Discipline) है। यह एक प्रयोगात्मक शाखा है, जो बालक में विविध भावनाएँ , कौशल और अभिवृत्तियों का विकास करती है। 3 / 20 3. समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के प्रयोजन है- सृजनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करना। विचारशील चिन्तन को उत्प्रेरित करना। सामाजिक अभिवृत्तियाँ विकसित करना। उपर्युक्त सभी Solution ● उपर्युक्त सभी समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के प्रयोजन है। समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि एक प्रकार की सामूहिक चर्चा होती है। इस विधि के मुख्य प्रयोजन है- सामूहिक कार्य में उपयोगी होने वाली प्रविधियों को विकसित करना है। इस विधि के द्वारा विभिन्न सामाजिक स्थितियों में अभ्यास प्रदान करके छात्रों में वांछित सामाजिक अभिवृत्तियों को विकसित किया जाता है। अतिरिक्त जानकारी – समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि की महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ – ● विनिंग महोदय के अनुसार – “कक्षा का कोई भी छात्र जिसमें सामूहिक चेतना और समूह के प्रति व्यक्तिगत उत्तरदायित्व की भावना परिलक्षित हो, समाजीकृत अभिव्यक्ति कहलाती है।” ● एम.पी. मुफात के अनुसार – “समाजीकृत अभिव्यक्ति व्याख्यान की अपेक्षा छात्रों के सहयोग के लिए अधिक अवसर प्रदान करती है। यह एक सामान्य सामूहिक वाद-विवाद विधि है जिसमें सभी बालक अपना योगदान देकर प्रश्न पूछकर तथा समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करके सहयोगी ढंग से भाग लेते हैं।” 4 / 20 4. महात्मा गाँधी ने बुनियादी शिक्षा प्रणाली के माध्यम से ………. शिक्षा पर बल दिया। क्रियाप्रधान निष्क्रिय केवल सैद्धांतिक उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution ● महात्मा गाँधी ने बुनियादी शिक्षा प्रणाली के माध्यम से क्रिया प्रधान शिक्षा पर बल दिया, जिसके लिए उन्होंने शिक्षण को उद्योग, भौतिक वातावरण तथा सामाजिक वातावरण से जोड़ा। अतिरिक्त जानकारी- ● भारत में 1937 में महात्मा गाँधी ने शिक्षा पद्धति में प्रोजेक्ट शब्द का इस्तेमाल बुनियादी शिक्षा में किया। प्रोजेक्ट शब्द का प्रयोग बुनियादी शिक्षा में चरखे से सूत कातने के संदर्भ में हुआ।● महात्मा गाँधी ने कहा कि “बालक को स्वावलम्बी बनाना चाहिए, उसे अपने पैरों पर खड़ा करना चाहिए अर्थात् ‘Skill Development’ सिखाना चाहिए। 5 / 20 5. भारत में सामाजिक अध्ययन विषय को लागू करने का श्रेय निम्नांकित में से किस आयोग को जाता है? माध्यमिक शिक्षा आयोग कोठारी शिक्षा आयोग राधाकृष्णन शिक्षा आयोग वर्धा शिक्षा आयोग Solution ● भारत में सामाजिक अध्ययन विषय को लागू करने का श्रेय माध्यमिक शिक्षा आयोग (मुदालियर शिक्षा आयोग – 1952-53) को जाता है। भारत में औपचारिक रूप से सामाजिक अध्ययन विषय को सर्वप्रथम लागू करने की सिफारिश वर्धा शिक्षा आयोग ने सन् 1937 में डॉ. जाकिर हुसैन की अध्यक्षता में की। अतिरिक्त जानकारी – ● माध्यमिक शिक्षा आयोग (1952-53) की रिपोर्ट ने पाठ्यपुस्तकों की कमियों को दूर करने से संबंधी कई सुझाव दिए थे। उसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि “किसी विषय के अध्ययन के लिए केवल एक पाठ्यपुस्तक का प्रावधान नहीं होना चाहिए, बल्कि दिए गए मानकों के अनुसार कई पुस्तकें प्रस्तावित होनी चाहिए और विकल्प चुनने की छूट स्कूल को मिलनी चाहिए।” 6 / 20 6. मूल्यांकन की निष्पक्षता बनाये रखने के लिए किस प्रकार के प्रश्न होने चाहिए? अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न लघूत्तरात्मक प्रश्न वस्तुनिष्ठ प्रश्न निबन्धात्मक प्रश्न Solution मूल्यांकन की निष्पक्षता बनाये रखने के लिए वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होने चाहिए क्योंकि इसके प्रत्येक प्रश्न का एक विशिष्ट उत्तर होता है और छात्र से वही विशिष्ट उत्तर देने की आशा की जाती है। यदि छात्र उस विशिष्ट उत्तर के अलावा अन्य कुछ उत्तर देता है, तो वह गलत माना जाता है। 7 / 20 7. उपलब्धि परीक्षण को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है? दो तीन चार पाँच Solution उपलब्धि परीक्षण को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है– प्रमापीकृत परीक्षण – यह परीक्षण शिक्षाविदों या मनोवैज्ञानिकों के द्वारा आधुनिक विधियों के आधार पर बनाये जाते हैं। इसे मानकीकृत परीक्षण भी कहते हें। अप्रमापीकृत परीक्षण – इसका निर्माण शिक्षकों के द्वारा किया जाता है। इसे अमानकीकृत परीक्षण भी कहते हैं। अतिरिक्त जानकारी – उपलब्धि परीक्षण के उद्देश्य – 1. इस परीक्षण द्वारा छात्रों द्वारा अर्जित निपुणता को मापा जाता है। 2. बालकों की उपलब्धि के सामान्य स्तर को निर्धारित करना। 3. पाठ्यक्रम के लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर बालकों की प्रगति की जानकारी करना। 4. बालकों की विभिन्न विषयों और क्रियाओं में वास्तविक स्थिति का पता लगाना। 5. ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में दिए गए प्रशिक्षण के परिणामों का मूल्यांकन करना। 8 / 20 8. अच्छे मूल्यांकन की कौन-सी एक विशेषता नहीं है ? वैधता विश्वसनीयता नकारात्मकता समग्रता Solution नकारात्मकता, अच्छे मूल्यांकन की विशेषता नहीं है। अच्छे मूल्यांकन की विशेषता है- वैधता, विश्वसनीयता, वस्तुनिष्ठता, उद्देश्यनिष्ठा, प्रतिनिधित्वता, समग्रता, मानक, विभेदीकरण, मितव्ययता। मूल्यांकन का शाब्दिक अर्थ है- निर्णय देना। मूल्यांकन विद्यार्थी केन्द्रित सतत् व व्यापक प्रक्रिया है। 9 / 20 9. सामाजिक अध्ययन शिक्षण के ‘प्रजातान्त्रिक शिक्षण आव्यूह’ में सम्मिलित है- 1. अन्वेषण 2. भाषण 3. प्रदर्शन 4. ब्रेन स्टौरमिंग 5. प्रोजेक्ट कूट: 1, 2 व 3 1, 3 व 5 1, 3, 4 व 5 1, 4 व 5 Solution सामाजिक अध्ययन शिक्षण आव्यूह के प्रकार- · प्रभुत्ववादी शिक्षण आव्यूह (Autocratic Teaching Strategies)- (1) भाषण (2) प्रदर्शन (3) अनुवर्ग शिक्षण · प्रजातान्त्रिक शिक्षण आव्यूह (Democratic Strategy)- (1) प्रश्नोत्तर (2) समीक्षा (3) प्रोजेक्ट (4) समीक्षा (5) वाद-विवाद (6) ब्रेन स्टौरमिंग (7) अन्वेषण 10 / 20 10. अभिकथन (1) सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत समाज के विविध सरोकार आते हैं। कारण (2) इसकी अंतर्वस्तु बहुत विविध है जिसमें इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और मानव विज्ञान जैसे विषयों की विषयवस्तु समाहित की जाती है। नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए- 1 सही है किन्तु 2 गलत है। 1 गलत है किन्तु 2 सही है। 1 व 2 दोनों सही हैं, किन्तु एक-दूसरे की व्याख्या नहीं करते हैं। 1 व 2 दोनों सही हैं, साथ ही एक-दूसरे की व्याख्या भी करते हैं। Solution ● सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत समाज के विविध सरोकार आते हैं क्योंकि इसकी अंतर्वस्तु बहुत विविध है जिसमें इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और मानव विज्ञान जैसे विषयों की विषयवस्तु समाहित की जाती है। अतिरिक्त जानकारी – सामाजिक अध्ययन के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ – ● जोरोलिमिक– “सामाजिक अध्ययन मानवीय संबंधों का अध्ययन है।” ● पीटर एच. मार्टोरेला ने अपनी पुस्तक ‘Social Studies strategies theory and Practise’ में कहा है, “सामाजिक अध्ययन को प्रयोगात्मक क्षेत्र के साथ संबंधित करना अधिक उचित होगा, क्योंकि इसमें वैज्ञानिक ज्ञान को उन नैतिक, दार्शनिक, धार्मिक, सामाजिक विषयों के साथ समाहित किया जाता है, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों के सामने आते हैं।” 11 / 20 11. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए। यह प्रश्न है- प्रत्याभिज्ञान मूल्यांकन का प्रत्यास्मरण मूल्यांकन का निबन्धात्मक मूल्यांकन का उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution ● रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए । यह प्रश्न प्रत्यास्मरण मूल्यांकन का है। प्रत्यास्मरण मूल्यांकन में छात्र अपनी स्मृति के आधार पर प्रश्नों का उत्तर देता है। वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन के दो प्रकार है- (1) प्रत्यास्मरण मूल्यांकन (2) प्रत्याभिज्ञान मूल्यांकन। अतिरिक्त जानकारी- रिक्त स्थान पूर्ति- ● इस प्रकार के प्रश्नों में अपूर्ण कथन दिए हुए होते हैं। स्मृति के आधार पर छात्रों को इन अपूर्ण कथनों में दिए रिक्त स्थानों की पूर्ति करनी होती है। उदाहरणार्थ – ● निर्देश – निम्नलिखित कथनों में जो रिक्त स्थान है, उनकी पूर्ति उपयुक्त शब्दों के द्वारा कीजिए- 1. दीने-इलाही नामक धर्म की स्थापना …………… ने की। 2. भारत के प्रधानमंत्री ……………… हैं। 12 / 20 12. प्रायोजना विधि का दार्शनिक आधार है- प्रयोजनवाद आदर्शवाद प्रकृतिवाद प्रत्ययवाद Solution · प्रायोजना विधि का दार्शनिक आधार प्रयोजनवाद है। प्रयोजनवाद वह विचारधारा है जो उन्हीं कार्यों अथवा सिद्धांतों को सत्य मानती है जो किसी देश, काल और परिस्थितियों में व्यावहारिक एवं उपयोगी हो। प्रयोजनवाद को प्रयोगवाद, फलवाद, अनुभववाद और व्यवहारवाद भी कहते हैं। 13 / 20 13. इंद्रियों के आधार पर शिक्षण सहायक सामग्री को कितने भागों में विभाजित किया गया है? 2 3 4 5 Solution • इंद्रियों के आधार पर शिक्षण सहायक सामग्री को तीन भागों में विभाजित किया गया है- • दृश्य सहायक सामग्री:- इस प्रकार की सामग्री द्वारा ज्ञान प्राप्त करने में केवल दृश्य इंद्रिय (आँख) ही सक्रिय रहती है। • श्रव्य सहायक सामग्री:- इस प्रकार की सामग्री द्वारा ज्ञान प्राप्त करने में केवल श्रव्य इंद्रिय (कान) ही सक्रिय रहती है। • श्रव्य-दृश्य सहायक सामग्री:- इस प्रकार की सामग्री द्वारा ज्ञान प्राप्त करने में दृश्य और श्रव्य दोनों ही इन्द्रियाँ (आँख और कान) सक्रिय रहती है। 14 / 20 14. “सामाजिक अध्ययन मनुष्यों तथा सामाजिक व भौतिक पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिक्रियाओं का अध्ययन है।“ सम्बन्धित परिभाषा है- हरबर्ट माइकेलिस NCERT रेबलिस Solution ● NCERT के अनुसार “सामाजिक अध्ययन मनुष्यों तथा सामाजिक व भौतिक पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिक्रियाओं का अध्ययन है”। सामाजिक अध्ययन के अन्तर्गत मनुष्य की अतीत, वर्तमान व भविष्य के सामाजिक व भौतिक पर्यावरण के बीच होने वाली अन्त:क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। अतिरिक्त जानकारी – ● जेम्स हैमिंग- “सामाजिक अध्ययन ऐतिहासिक, भौगोलिक तथा सामाजिक सम्बन्धों तथा अंतर्सम्बन्धों का अध्ययन है।” ● जे.एफ.फॉरेस्टर- “सामाजिक अध्ययन उस समाज का अध्ययन है, जिसमें रहकर छात्रों का सर्वांगीण विकास होता है।” ● वेस्ले महोदय– “सामाजिक अध्ययन सामाजिक विद्वानों के आधारभूत तत्त्वों का अध्ययन है।” ● माइकेलिस– “सामाजिक ज्ञान का संबंध मानव और उसके सामाजिक तथा भौतिकी वातावरण के पारस्परिक आदान-प्रदान से है। ये मानव संबंधों को उद् घाटित करते हैं।” 15 / 20 15. समस्या समाधान विधि का मुख्य उद्देश्य है– बालकों की चिन्तन शक्ति का विकास करना। बालकों की शारीरिक शक्ति का विकास करना। 1 और 2 दोनों उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution ● समस्या समाधान विधि का मुख्य उद्देश्य बालकों की चिन्तन शक्ति का विकास करना है। समस्या समाधान उच्चतम स्तर का सीखना है। यह एक संज्ञानात्मक प्रक्रिया है, जिसका चिन्तन से गहरा संबंध है। यह बाल केन्द्रित विधि है। अतिरिक्त जानकारी – समस्या समाधान विधि की महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ- ● रिस्क – समस्या-समाधान विधि से अभिप्राय: किसी समस्या पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना है। जिसके फलस्वरूप सन्तोषजनक हल प्राप्त हो सके। ● बेरोन – “समस्या-समाधान एक मानसिक प्रक्रिया है, जिसमें विभिन्न अनुक्रिया को करने तथा चुनने की क्रिया शामिल है ताकि वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सके।” ● C.V. Good – “समस्या-समाधान विधि शिक्षण की वह विधि है, जिसमें ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों की उत्पत्ति करके शिक्षा दी जाए, जिनका समाधान आवश्यक हो।” 16 / 20 16. अधिगम-प्रतिफल के उद्देश्य हैं- गुणवत्तायुक्त शिक्षण सुनिश्चित करना। विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना। 1 और 2 दोनों उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution • अधिगम प्रतिफल का प्रमुख उद्देश्य है- RTE-2009 के अनुसार 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षण सुनिश्चित करना तथा शिक्षण को केवल विषय तक सीमित न रखकर विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना। इसके अतिरिक्त अन्य उद्देश्य है- शिक्षण के गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयास करना। 17 / 20 17. सामाजिक अध्ययन शिक्षण की परम्परागत विधि है– प्रयोजना विधि व्याख्यान विधि समस्या समाधान विधि मस्तिष्क उद्वेलन विधि Solution ● व्याख्यान विधि सामाजिक अध्ययन शिक्षण की परम्परागत विधि है। व्याख्या विधि से अभिप्राय है- कथन या भाषण द्वारा शिक्षण प्रदान करना। इस विधि में शिक्षक प्रस्तुत अध्याय या प्रकरण को सुबोध व सरल भाषा में समझाने का प्रयास करता है। यह शिक्षक केन्द्रित विधि है। 18 / 20 18. कम्प्यूटर की प्रक्रिया आधारित होती है– हार्डवेयर उपागम पर सॉफ्टवेयर उपागम पर कक्षा शिक्षण उपागम पर 1 और 2 दोनों Solution कम्प्यूटर की प्रक्रिया हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों उपागमों पर आधारित होती है। कम्प्यूटर, स्वत: अनुदेशन पद्धति का उपकरण है। अनुदेशानात्मक तकनीकी में कम्प्यूटर का प्रयोग व्यक्तिगत अनुदेशन प्राप्त करने के लिए किया जाता है। कम्प्यूटर के प्रमुख कार्य है – अनुदेशन का प्रस्तुतीकरण, उसका नियन्त्रण करना तथा अधिगमकर्ता को पुनर्बलन प्रदान करना। 19 / 20 19. क्षेत्रीय भ्रमण का महत्त्व निम्नलिखित में से किस विषय के शिक्षण में अत्यधिक है? इतिहास भूगोल नागरिक शास्त्र उपर्युक्त सभी Solution क्षेत्रीय भ्रमण का महत्व इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान आदि विषयों के शिक्षण में अत्यधिक है। किसी क्षेत्र विशेष की सोद्देश्य यात्रा करना ही क्षेत्रीय भ्रमण है। अतिरिक्त जानकारी – क्षेत्रीय भ्रमण विधि के लाभ/फायदे :- (1) प्रत्यक्ष अनुभव से स्थायी ज्ञान प्राप्त होता है। (2) ज्ञानात्मक पक्ष सुदृढ़ विकास होता है। (3) निरीक्षण करने की योग्यता का विकास होता है। (4) मानसिक शक्तियों का विकास होता है। (5) विषय-वस्तु के प्रति रुचि जाग्रत होती है। (6) मनोरंजन पूर्ण शिक्षण होता है। (7) प्रजातांत्रिक गुणों का विकास होता है। (8) विद्यार्थियों का प्रत्यक्ष अनुभव होता है। (9) इस विधि से कई जटिल सम्प्रत्यों को स्पष्ट किया जा सकता है। (10) इसके द्वारा विद्यार्थियों का सामाजिक अध्ययन विषय के प्रति उचित दृष्टिकोण का विकास होता है। 20 / 20 20. निम्नलिखित में से किस विधि में थॉर्नडाइक के सीखने के तीनों नियमों की पालना होती है? प्रायोजना विधि भ्रमण विधि व्याख्यान विधि उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution प्रायोजना विधि में थॉर्नडाइक के सीखने के तीनों नियमों की पालना होती है। थॉर्नडाइक के सीखने के नियम हैं- 1. तत्परता का नियम 2. अभ्यास का नियम 3. प्रभाव का नियम इस विधि द्वारा सीखा हुआ ज्ञान स्थायी एवं सुसंगठित होता है। इस विधि से छात्रों में चिंतन, तर्क और निर्णय करने की शक्ति का विकास होता है। यह एक मनोवैज्ञानिक विधि है। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now