REET भाषा शिक्षण के सामान्य सिद्धान्त व सूत्र विराम-चिह्रन | REET 2025 | हिंदी | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 25, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /10 55 12345678910 भाषा शिक्षण के सामान्य सिद्धान्त व सूत्र विराम-चिह्रन | REET 2025 | हिंदी | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 10 1. पाठ योजना का निर्माण किया जाता है- शिक्षण की पूर्व अवस्था में शिक्षण की मध्यम अवस्था में शिक्षण की अन्तिम अवस्था में उपर्युक्त सभी अवस्था में Solution पाठ योजना का निर्माण शिक्षण की पूर्व अवस्था में किया जाता है। कक्षा-कक्ष में जाने से पहले अध्यापक अपने द्वारा पढ़ाए जाने वाले विषय वस्तु या प्रकरण के सम्बन्ध में जो भी औपचारिक रूपरेखा तैयार करता है, उसे ही पाठ योजना कहते हैं। जैक्सन ने शिक्षण की तीन अवस्थाएँ बताई हैं- 1. शिक्षण से पूर्व के अवस्था-पाठ योजना का निर्माण 2. शिक्षण की अवस्था-पाठ योजना का प्रस्तुतीकरण 3. शिक्षण के बाद की अवस्था – मूल्यांकन और गृहकार्य देना। 2 / 10 2. हरबर्ट उपागम के पद हैं– दो तीन चार पाँच Solution हरबर्ट उपागम के पाँच पद हैं– 1. प्रस्तावना – इसका मुख्य उद्देश्य पूर्व ज्ञान का नवीन ज्ञान से संबंध स्थापित करना है। 2. प्रस्तुतीकरण – विषय वस्तु को प्रस्तुत करना। 3. तुलना – नवीन ज्ञान को तुलना के द्वारा प्रस्तुत करना। 4. सामान्यीकरण – अर्जित ज्ञान का सामान्यीकरण करना। 5. प्रयोग – अर्जित ज्ञान का व्यावहारिक जीवन में उपयोग करना। 3 / 10 3. भाषा का प्राथमिक रूप है- मौखिक लिखित व्याकरणिक रचना Solution भाषा का प्राथमिक रूप मौखिक है। प्रत्येक भाषा की कुछ मूल ध्वनियाँ होती है, जिसे सुन व बोलकर भाषा को समझता है, तत्पश्चात्लिखने का प्रयत्न करता है। 4 / 10 4. भाषा है- अर्जित सम्पत्ति उत्तराधिकार में प्राप्त सम्पत्ति ईश्वर प्रदत्त सम्पत्ति सहजात योग्यता Solution भाषा अर्जित सम्पत्ति है। मनुष्य को भाषा सीखने के लिए स्वयं प्रयास करना पड़ता है। भाषा ऐसी सम्पत्ति है जिसे व्यक्ति अनुभव, शिक्षा, और अभ्यास के माध्यम से अर्जित करता है। भाषा का ज्ञान जन्मजात नहीं होता, बल्कि इसे समाज, परिवार, और शिक्षा के माध्यम से सीखा और समझा जाता है। यह एक सांस्कृतिक और बौद्धिक सम्पत्ति होती है, जो व्यक्ति की सोच, संवाद, और समाज में सहभागिता को प्रभावित करती है। भाषा के माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त करता है और दूसरों के विचारों को समझता है, जिससे समाज में उसकी भूमिका और पहचान बनती है। 5 / 10 5. भाषा के अभिव्यक्तात्मक कौशल है- सुनना व बोलना बोलना व पढ़ना पढ़ना व लिखना बोलना व लिखना Solution बोलना व लिखना, भाषा के अभिव्यक्तात्मक या अभिव्यंजनात्मक कौशल है। बोलना अर्थात् बोलकर विचार व्यक्त करना-मौखिक अभिव्यक्ति कौशल है। लिखना अर्थात् लिखकर विचार व्यक्त करना- लिखित अभिव्यक्ति कौशल (लेखन कौशल)। मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए जिस माध्यम को अपनाता है, वही भाषा है। 6 / 10 6. भाषा शिक्षण में सृजनात्मक उद्देश्य है- रचना में मौलिकता लाने की योग्यता का विकास करने के लिए प्रेरित करना। बालकों को अपनी अनुभूतियों को व्यवस्थित करके मौखिक रूप से व्यक्त करने का अभ्यास कराना। बालकों को अपनी अनुभूतियों को व्यवस्थित करके लिखित रूप से व्यक्त करने का अभ्यास कराना। उपर्युक्त सभी Solution ● उपर्युक्त सभी भाषा शिक्षण में सृजनात्मक उद्देश्य है। भाषा शिक्षण कार्य में सृजनात्मक क्षमता के विकास के लिए बालकों को स्वनिर्मित वाक्यों में अपनी अनुभूति, निबन्ध, कहानी, यात्रा-वर्णन, नाटक आदि व्यक्त करने का अभ्यास कराया जाता है। 7 / 10 7. भाषा स्वभावतः प्रवाहित होती है- कठिनता से सरलता की ओर सरलता से कठिनता की ओर ज्ञात से अज्ञात की ओर अक्षर से वर्णमाला की ओर Solution ● भाषा स्वभावतः कठिनता से सरलता की ओर प्रवाहित होती है। भाषा स्थूल से सूक्ष्म की ओर एवं अपरिपक्वता से परिपक्वता की ओर विकसित होती है। भाषा अनुकरण जन्य प्रक्रिया है। अतिरिक्त जानकारी – मनोवैज्ञानिक शिक्षण-सूत्रों का प्रयोग- (क) ज्ञात से अज्ञात की ओर। (ख) सरल से कठिन की ओर। (ग) स्थूल से सूक्ष्म की ओर। (घ) पूर्ण से अंश की ओर। (ड़) विश्लेषण से संश्लेषण की ओर। (च) विशेष से सामान्य की ओर। (छ) अनिश्चित से निश्चित की ओर। (ज) निकट से दूर की ओर। (झ) आगमन से निगमन की ओर। (ञ) मूर्त से अमूर्त की ओर। (ट) मनोवैज्ञानिक से तार्किक की ओर। 8 / 10 8. भाषा शिक्षण की सूत्र विधि का मूल स्रोत कौन-सी भाषा है? हिन्दी संस्कृत जर्मन फ्रेंच Solution भाषा शिक्षण की सूत्र विधि का मूल स्रोत संस्कृत भाषा है। यह विधि संस्कृत साहित्य से उत्पन्न हुई है अर्थात् सूत्र विधि का हिन्दी भाषा में आगमन संस्कृत भाषा से हुआ है। पाणिनी की अष्टाध्यायी से इस विधि का निर्माण (सूत्र के रूप में) हुआ है। यह व्याकरण शिक्षण की उत्तम विधि है। इस विधि द्वारा व्याकरण के नियमों को सूत्र के रूप में छात्रों को कंठस्थ करवाया जाता है। 9 / 10 9. भाषा व्यापार है, यह कथन किसका है? दण्डी पतंजलि डॉ. सीताराम चतुर्वेदी सुमित्रानंदन पंत Solution पतंजलि के अनुसार भाषा वह व्यापार है जिसके हम वर्णनात्मक या व्यक्त शब्दों द्वारा अपने विचारों को प्रकट करते हैं। विचार व्यक्त करने का साधन भाषा है। अतिरिक्त जानकारी – • स्वीट- ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा विचारों का प्रकटीकरण ही भाषा है। • सुकुमार सेन- अर्थवान् कण्ठोद्गीर्ण ध्वनि समष्टि ही भाषा है। • पी. आर गोयल- भाषा मानव के मुख से नि:सृत शब्दों का सार्थक संगठन है, जो अपने मन के भावों को दूसरों के समझने योग्य बनाता है। • सुमित्रानन्दन पन्त- भाषा संसार का नादमय चित्र है, ध्वनिमय स्वरूप है, यह विश्व की हृदय तन्त्री की झंकार है, जिनके स्वर में अभिव्यक्त पाती है। • सीताराम चतुर्वेदी– भाषा के आविर्भाव से सारा मानव संसार गूँगों की विराट बस्ती बनने से बच गया। • प्लेटो- विचार आत्मा की मूक या ध्वन्यात्मक बातचीत है, पर वही जब ध्वन्यात्मक होकर होठों पर प्रकट होती है तो उसे भाषा की संज्ञा देते हैं। 10 / 10 10. सही कथन का चयन कीजिए- भाषा सभ्यता का चित्रण है। भाषा समाज का साधन है। भाषा एक कौशल है। उपर्युक्त सभी Solution ● उपर्युक्त सभी कथन सत्य है। भाषा सभ्यता का चित्रण है- भाषा उस सभ्यता का चित्रण करती है, जिसमें उसका उद्भव, विकास और पोषण होता है। भाषा समाज का साधन है- भाषा सामाजिक व्यवहारों, विचार-विनिमय की अभिव्यक्ति का एक साधन है। भाषा एक कौशल है- भाषा एक व्यावहारिक कुशलता है, इसको सीखने के लिए निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता होती है। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now