REET भाषा शिक्षण का उद्देश्य विधियाँ और उपागम | REET 2025 | हिंदी | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 25, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /10 40 12345678910 भाषा शिक्षण का उद्देश्य विधियाँ और उपागम | REET 2025 | हिंदी | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 10 1. निगमन विधि में सर्वप्रथम छात्रों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है- उदाहरण व्याकरण के नियम शब्दों के अर्थ उपर्युक्त सभी Solution निगमन विधि में शिक्षक द्वारा सर्वप्रथम छात्रों के सम्मुख व्याकरण के नियम को प्रस्तुत किया जाता है। बाद में उदाहरणों के द्वारा उन नियमों को सिद्ध किया जाता है। अतिरिक्त जानकारी – ● निगमन विधि में सूक्ष्म से स्थूल की ओर (Proceed from abstract to concrete), सामान्य से विशिष्ट की ओर (Proceed from general to particular) तथा प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर या नियम से उदाहरण की ओर (Proceed from general rule to example) अग्रसर होते हैं। 2 / 10 2. भाषा संसर्ग विधि में विशेष महत्त्व दिया जाता है- व्याकरण के नियमों पर लेखकों की जीवनी पर भाषा के सैद्धांतिक ज्ञान पर भाषा के व्यावहारिक ज्ञान पर Solution • भाषा संसर्ग विधि में भाषा के व्यावहारिक ज्ञान पर विशेष महत्त्व दिया जाता है। इस विधि में रचना द्वारा व्याकरण का ज्ञान करवाया जाता है। अध्यापक सिद्धान्त अथवा नियम को अलग से नहीं बताकर केवल रचना द्वारा ही व्याकरण की अपेक्षित जानकारी देता है। इस विधि का मुख्य उद्देश्य भाषा का शुद्ध प्रयोग है, व्याकरण का ज्ञान नहीं। 3 / 10 3. निम्नलिखित में से किस विधि को सुग्गा प्रणाली भी कहा जाता है? भाषा संसर्ग विधि निगमन विधि समवाय विधि पाठ्य-पुस्तक विधि Solution – पाठ्य-पुस्तक विधि को सुग्गा प्रणाली भी कहा जाता है। पाठ्य-पुस्तक विधि में सुग्गा (तोता) की भाँति छात्रों को पहले व्याकरण के नियमों को पाठ्य-पुस्तक के माध्यम से याद (रटाया) कराया जाता है, तब उसके उदाहरण प्रस्तुत किये जाते हैं। 4 / 10 4. आगमन विधि के चरण है- उदाहरण तुलना नियमीकरण व परीक्षण उपर्युक्त सभी Solution आगमन विधि के मुख्य चार चरण या पद है – (1) उदाहरण – शिक्षक द्वारा उदाहरण को प्रस्तुत करना (2) तुलना/निरीक्षण – सभी उदाहरणों का निरीक्षण कर उनकी तुलना करना। (3) नियमीकरण – समानता के आधार पर नियम निकालना (4) परीक्षण – निकाले गए नियमों का करना। यह एक मनोवैज्ञानिक विधि है। अतिरिक्त जानकारी – आगमन विधि के गुण एवं विशेषताएँ – ● यह एक वैज्ञानिक विधि है क्योंकि इस विधि द्वारा अर्जित ज्ञान प्रत्यक्ष तथ्यों पर आधारित होता है। ● इस विधि के द्वारा बालक को नियम, सूत्रों का निर्धारण एवं सामान्यीकरण की प्रक्रिया का ज्ञान हो जाता है। ● इस विधि में बालक स्वयं उदाहरण, निरीक्षण और परीक्षण के द्वारा ज्ञान अर्जित करते हैं, इसलिए इस विधि द्वारा प्राप्त ज्ञान अधिक स्थायी होता है। 5 / 10 5. प्रत्यक्ष विधि के संदर्भ में सत्य कथन है- इस विधि में मातृभाषा का प्रयोग वर्जित है। इस विधि में सदैव मातृभाषा का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में केवल लिखित कार्य को प्रधानता दी जाती है। इस विधि में पाठ्य वस्तु को कंठस्थ करने की आवश्यकता होती है। Solution इस विधि में मातृभाषा का प्रयोग वर्जित है, यह कथन प्रत्यक्ष विधि के संदर्भ में सत्य है। हिन्दी विषय में प्रत्यक्ष विधि का अर्थ है – भाषा में मौखिक एवं लिखित अभिव्यक्ति देकर विषय-वस्तु को स्पष्ट करना। इस विधि में मुख्य तीन बातों का ध्यान रखा जाता है- (1) इस विधि में मातृभाषा का प्रयोग वर्जित है। (2) इसमें मौखिक कार्य को प्रधानता दी जानी चाहिए। (3) इसमें वस्तु और शब्द के मध्य सीधा संबंध स्थापित कर पढ़ाया जाए। इस विधि में रटने या करने की आवश्यकता नहीं है। यह विधि मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। 6 / 10 6. अभिक्रमित अनुदेशन में बाह्य अभिक्रमित अनुदेशन किसको कहा जाता है? शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन को मेथेटिक्स अभिक्रमित अनुदेशन को रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन को स्वनिर्देशित अभिक्रमित अनुदेशन को Solution रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन– ● प्रतिपादक– B.F. स्कीनर (1954 में) ● अन्य नाम– शृंखला/बाह्य/स्कीनेरियन प्रणाली ● रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन को शृंखला/बाह्य अभिक्रमित अधिगम भी कहते हैं। ● इसके प्रवर्तक हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बी.एफ. स्कीनर हैं। ● इसका प्रमुख उद्देश्य अनुदेशन देना है। ● इसके अंतर्गत विषय-वस्तु को छोटे-छोटे पदों में क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया जाता है। प्रत्येक पद पर बालक अनुक्रिया करता है जिसका संबंध अंतिम व्यवहार से होता है। 7 / 10 7. हिन्दी भाषा को प्रभावशाली बनाने के लिए निम्न शिक्षण सूत्रों का प्रयोग करना चाहिए- ज्ञात से अज्ञात की ओर सरल से कठिन की ओर विशेष से सामान्य की ओर उपर्युक्त सभी Solution उपर्युक्त सभी शिक्षण सूत्र का प्रयोग हिन्दी भाषा को प्रभावशाली बनाने के लिए करना चाहिए- ज्ञात से अज्ञात की ओर- इसका अर्थ है कि बच्चों को पहले सरल तथ्यों का ज्ञान कराया जाए, उसके बाद कठिन तथ्यों का ज्ञान कराया जाएँ। विशेष से सामान्य की ओर- इसका अर्थ है बच्चों के सामने पहले विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत करने चाहिए, फिर उनका विश्लेषण एवं संश्लेषण कर सामान्यीकरण करके नियम एवं सिद्धान्तों का प्रतिपादन करना चाहिए। इन सूत्रों का प्रयोग करके बच्चो में रुचि उत्पन्न की जा सकती है और हिन्दी भाषा शिक्षण में सूत्रों के साथ सहायक उपागमों का उपयोग करते हुए उसे रोचक बनाया जा सकता है। 8 / 10 8. भाषा शिक्षण के सामान्य उद्देश्य है- रसास्वादन करने की क्षमता का विकास करना। रचनात्मक शक्तियों का विकास करना। साहित्य के प्रति रुचि जागृत करना। उपर्युक्त सभी Solution उपर्युक्त सभी भाषा शिक्षण के सामान्य उद्देश्य है। भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा व्यक्ति अपने भावों, विचारों और इच्छा को प्रकट करता है। भाषा प्रतीकों की व्यवस्था है। ये प्रतीक मौखिक या वाचिक है। अतिरिक्त जानकारी – भाषा की विशेषताएँ – • भाषा शिक्षण की सामान्य विशेषताओं के आधार पर ही भाषा शिक्षण को अधिक तर्कसम्मत, वैज्ञानिक और प्रभावपूर्ण बना सकते हैं। • भाषा शिक्षण की सामान्य विशेषताओं को निम्नांकित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं– – भाषा अर्जित सम्पत्ति है, पैतृक नहीं। – भाषा क्रियात्मक प्रधान विषय है। – भाषा मानव की कलाकृति है। जिसके प्रमुख कौशल बोलना, लिखना, पढ़ना तथा सुनना है। – भाषा आद्यन्त सामाजिक प्रक्रिया है। 9 / 10 9. भाषा शिक्षण में बहुभाषिकता से अभिप्राय है- मातृभाषा का समग्र ज्ञान हिन्दी का समग्र ज्ञान कम से कम दो भाषाओं का समग्र ज्ञान इनमें से कोई नहीं Solution ● भाषा शिक्षण में बहुभाषिकता से अभिप्राय है- कम से कम दो भाषाओं का समग्र ज्ञान। कक्षा में बहुभाषिकता भाषा शिक्षण में एक संसाधन के रूप में प्रयुक्त हो सकती है। यह लक्ष्य भाषा सीखने को प्रोत्साहित करती है। 10 / 10 10. प्राथमिक स्तर पर बालकों को भाषा सिखाने का सर्वोपरि उद्देश्य है- तेज प्रवाह के साथ पढ़ने की योग्यता का विकास करना। अपनी बात को दूसरों के समक्ष अभिव्यक्त करने की कुशलता का विकास करना। मुहावरे का ज्ञान प्राप्त करना। कहानी-कविताओं को दोहराने की कुशलता का विकास करना। Solution प्राथमिक स्तर पर बालकों को भाषा सिखाने का सर्वोपरि उद्देश्य है- अपनी बात को दूसरे के समक्ष अभिव्यक्त करने की कुशलता का विकास करना। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now