REET LEVEL 1 जल वन और प्रदूषण नियंत्रण | REET 1st Level 2025 | पर्यावरण | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 23, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /10 12 12345678910 जल वन और प्रदूषण नियंत्रण | REET 1st Level 2025 | पर्यावरण | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 10 1. पाली जिलें में रंगाई-छपाई उद्योग के कारण कौन-सा प्रदूषण होता है? वायु मृदा जल उपर्युक्त सभी Solution पाली (राजस्थान) में रंगाई-छपाई उद्योग के कारण मुख्य रूप से जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, और मृदा प्रदूषण होता है। जल प्रदूषण : रंगाई-छपाई उद्योग में रंग, रासायनिक पदार्थ और अन्य रसायनों का उपयोग होता है, जिनका अपशिष्ट जल के रूप में निकलता है। ये रसायन नदी, नालों और अन्य जल स्रोतों में मिलकर पानी को प्रदूषित करते हैं, जिससे जल जीवन को खतरा होता है। अपशिष्ट जल में भारी धातुएं (जैसे- क्रोमियम, कैडमियम) और जहरली रसायन होते हैं, जो मानव और वन्य जीवों के लिए हानिकारक होते हैं। वायु प्रदूषण : रंगाई-छपाई उद्योग में प्रयुक्त रासायनिक रंग और सॉल्वेंट्स वाष्पीकरण के रूप में वायुमंडल में फैलते हैं। इससे वायु में हानिकारक गैसें और रसायन, जैसे VOCs (Volatile Organic Compounds) और अन्य कार्बनिक प्रदूषक मिलते हैं, जो वायु गुणवत्ता को खराब करते हैं और सांस की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। मृदा प्रदूषण : रंगाई और छपाई प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थ और रंग जब गलती से भूमि में गिरते हैं, तो ये मृदा को भी प्रदूषित करते हैं। ये रसायन मृदा के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और खेती की उपजाऊ क्षमता को कम कर सकते हैं। 2 / 10 2. वनों में लगने वाली आग को क्या कहा जाता है? दावानल बड़वानल जठरानल उपर्युक्त सभी Solution वनों में लगने वाली आग – दावानल समुद्र मे लगी आग – बड़वानल पेट की आग/ जठराग्नि – जठरानल 3 / 10 3. यदि आप खेती में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों का अधिक उपयोग करते हैं तो कौन-सा प्रदूषण होता है? वायु प्रदूषण भूमि प्रदूषण जल प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण Solution ♦ भूमि प्रदूषण के कारण :- – कृषि में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग – औद्योगिक इकाइयों, खानों तथा खादानों द्वारा निकले ठोस कचरे का विसर्जन। – भवनों ,सड़कों,आदि के निर्माण में ठोस कचरे का विसर्जन – प्लास्टिक थैलियों का अधिक उपयोग आदि 4 / 10 4. निम्नलिखित में से प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले कारक है? वनों की कटाई पर रोक एवं वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना जैविक उर्वरकों का प्रयोग करना प्लास्टिक के उपयोग पर रोक उपर्युक्त सभी Solution प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले कारक – वनों की कटाई रोकना चाहिए एवं वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना चाहिए साथ ही वृक्षों की संख्या अधिक होने से होने वाले लाभ के विषय में लोगों को जागरूक करना चाहिए। – खाद्य उत्पादन में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम करके जैविक उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए। – कारखानों में चिमनियों में फिल्टर लगाना चाहिए एवं चिमनियों को अधिक ऊँचाई पर रखना चाहिए। – कारखानों द्वारा निकलने वाले जल को कृत्रिम तालाबों में रासायनिक विधि द्वारा उपचारित करने के उपरांत नदियों में छोड़ना चाहिए। – कम शोर वाले मशीन उपकरणों के निर्माण एवं उपयोग पर जोर देना चाहिए एवं उद्योगों को शहरों या आबादी वाले स्थान से दूर स्थापित करना चाहिए। – परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। – हमें प्लास्टिक के उपयोग को रोकना चाहिए एवं पर्यावरण अनुकूल वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। – घरेलू एवं औद्योगिक अपशिष्ट का समुचित निस्तारण करना चाहिए। – वर्षा के जल को संचित करके उसका पुनः उपयोग कर भूमिगत जल को संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए। 5 / 10 5. इंदिरा गाँधी नहर क्षेत्र में भू-प्रदूषण का कारण है- भूमि का क्षारीय होना भूमि का कटाव जल प्रवाह भू-जल की कमी Solution पर्याप्त जल निकासी के प्रावधान के बिना इंदिरा गांधी नहर की शुरुआत से भूजल स्तर में वृद्धि की समस्या पैदा हुई है, जिससे रिसाव के कारण जलभराव और लवणीकरण का स्तर बढ़ गया है जो इनका क्षारीय प्रकृति का कारण है 6 / 10 6. पश्चिमी राजस्थान की प्रमुख पर्यावरणीय समस्या है- भूमि का कटाव वृक्षों का कटाव सेम की समस्या मरुस्थलीकरण Solution मरुस्थलीकरण :- • उपजाऊ एवं अमरुस्थलीय भूमि का क्रमिक रूप से शुष्क प्रदेश अथवा मरुस्थल में परिवर्तित हो जाना। • यह प्रक्रिया प्राकृतिक की अपेक्षा मानवीय क्रिया-कलापों द्वारा अधिक होती है। राजस्थान का वर्तमान मरुस्थल इसका ज्वलन्त उदाहरण है, जहाँ कभी सरस्वती एवं दृषद्वती नदियों का प्रवाह था तथा सभ्यता विकसित थी, जिसके अवशेष कालीबंगा, रंग महल आदि स्थानों पर देखे जा सकते हैं। इस प्रदेश में मरुस्थल विकास का प्रमुख कारण अविवेकपूर्ण मानवीय क्रियाओं को माना जाता है। • सेम की समस्या – सेम एक ऐसा मुद्दा है, जहाँ भूमि का भूजल ऊपर आता है और भूमि दलदल और दलदली क्षेत्र बन जाती है। इससे मृदा की उर्वरता कमजोर होती है और बाद में भूमि बंजर हो जाती है। • राजस्थान में बीकानेर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले इस समस्या से प्रभावित हैं। 7 / 10 7. निम्नलिखित में से कौन-से वन मरुस्थलीय वन की श्रेणी में नहीं आते हैं? बबूल खेजड़ी सागवान कैक्टस Solution • मरुस्थलीय वन :- दक्षिणी पश्चिमी पंजाब, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के कम वर्षा वाले भागों में ऐसे वन पाये जाते हैं, उदाहरण :- बबूल, खेजड़ी, कैक्टस, नागफनी, कत्था, कैर, खसखस आदि • सागवान, शीशम, चंदन, कुसुम, बाँस, आम, जामुन, गूलर आदि वन मानसूनी या पतझड़ वन है जो हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, असम आदि क्षेत्रों में पाए जाते हैं 8 / 10 8. जल प्रदूषण के कारण क्या हैं? औद्योगिक अपशिष्ट घरेलू अपशिष्ट कृषि अपशिष्ट उपरोक्त सभी Solution जल प्रदूषण के कई कारण हैं, जिनमें औद्योगिक अपशिष्ट, घरेलू अपशिष्ट और कृषि अपशिष्ट, घरेलू गंदगी का बहाव, वाहित मल, रेडियोधर्मी अवशिष्ट, तापीय प्रदूषण आदि शामिल हैं। 9 / 10 9. वायु प्रदूषण का कौन-सा स्रोत नहीं है? वाहन उद्योग ठोस अपशिष्ट धूल के कण Solution वायु में जब भौतिक, रासायनिक या जैवीय अभिलक्षणों का एक अवांछनीय परिवर्तन होता है तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं- 1. औद्योगिकीय अपशिष्ट 2. तापीय शक्ति केन्द्र 3. स्वचालित वाहन 4. धूल के कण 5. परमाणु परीक्षणों तथा ज्वालामुखियों से निकलने वाले प्रदूषक। 6. कीटनाशकों एवं विलायकों आदि के प्रयोग से निकलने वाले प्रदूषक। वायु प्रदूषण के लिए निम्न गैसें उत्तरदायी होती हैं- कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड, हाइड्रो कार्बन, अमोनिया इत्यादि। 10 / 10 10. भारत में जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण कानून कब बनाया गया? वर्ष 1869 वर्ष 1972 वर्ष 1984 वर्ष 1974 Solution ● भारत में जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण कानून वर्ष 1974 में बनाया गया। ● जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। ● विश्व में सबसे अधिक ट्यूबवेल भारत में है। ● जल प्रदूषण के कारण- (i) महासागरों में तेल का रिसाव। (ii) खुले में शौच। (iii) ठोस अवशिष्ट पदार्थों का जल में घुलना इत्यादि अनेक कारण है। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now