REET चिन्तन, कल्पना एवं तर्क | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | REET 2025 | मनोविज्ञान | महत्वपूर्ण प्रश्न by RPSC | December 21, 2024 Facebook फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now Report a question What’s wrong with this question? You cannot submit an empty report. Please add some details. /10 38 12345678910 चिन्तन, कल्पना एवं तर्क | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | REET 2025 | मनोविज्ञान | महत्वपूर्ण प्रश्न 🔴महत्वपूर्ण निर्देश 🔴 ✅ टेस्ट शुरू करने से पहले कृपया सही जानकारी भरे | ✅ सभी प्रश्नों को आराम से पढ़कर उत्तर दे | ✅सभी प्रश्नों का उत्तर टेस्ट पूर्ण करने पर दिखाई देगा | ✅ टेस्ट पूर्ण करने पर सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाया गया है | Name 1 / 10 1. यदि शिक्षण द्वारा ताजमहल का वर्णन किए जाने के बाद कोई छात्र उस ताजमहल की कल्पना अपने–आप करना प्रारंभ कर देता है, तो इसे कहा जाता है– परिणामवादी कल्पना ग्राही कल्पना सौंदर्यबोधी सैद्धांतिक कल्पना Solution – ग्राही कल्पना (Receptive Imagination)– जब हम दूसरे की कही हुई बातों को ग्रहण करके उसके अनुसार अपने-आप ही कल्पना करने लगते हैं, तो उसे ग्राही कल्पना कहते हैं; जैसे- शिक्षक द्वारा ताजमहल का कक्षा में वर्णन किए जाने पर छात्र उस ताजमहल की कल्पना अपने आप करना प्रारम्भ कर देते हैं। 2 / 10 2. निम्नांकित वाक्यों पर ध्यान दें तथा उसके नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दें? जहाँ- जहाँ धुआँ होता है, वहाँ वहाँ आग होती है। पहाड़ पर धुआँ है। पहाड़ पर आग है। उपर्युक्त वाक्य का निष्कर्ष किस तरह की तर्कणा का उदाहरण है? निगमनात्मक तर्कणा आगमनात्मक तर्कणा आलोचनात्मक तर्कणा सादृश्यवाची तर्कणा Solution – निगमनात्मक तर्कणा (Deductive Reasoning) :- इसमें व्यक्ति पहले से ज्ञात नियमों एवं तथ्यों के आधार पर एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचने की कोशिश करता है। इसमें व्यक्ति पूर्व निर्धारित नियमों सिद्धांतों के आधार पर सत्य का परीक्षण करता है। (सामान्य से विशिष्ट की ओर) – इसमें सार्वभौमिक तथ्यों को विशिष्ट समस्याओं के समाधान में प्रयोग करते हैं। जैसे – सभी मनुष्य नाशवान है, मैं भी एक मनुष्य हूँ इसलिए मैं भी नाशवान हूँ। – जहाँ-जहाँ धुआँ होता है, वहाँ आग होती है, पहाड़ पर धुआँ है, इसलिए वहाँ आग है। 3 / 10 3. रचनात्मक कल्पना जिसका एक प्रकार है– उत्पादनात्मक कल्पना कलात्मक कल्पना सैद्धांतिक कल्पना उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution – उत्पादनात्मक कल्पना (Productive Imagination)– इसमें व्यक्ति अपनी गत अनुभूतियों को इस ढंग से सुसज्जित करता है कि उससे किसी नई अनुभूति का जन्म होता है। इसके दो प्रकार हैं- (i) रचनात्मक कल्पना (Constructive Imagination)– वह कल्पना जिसका उपयोग भौतिक वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है; जैसे– एक इंजीनियर का मकान बनाने से पहले कल्पना के आधार पर नक्शा बनाना। (ii) सृजनात्मक कल्पना (Creative Imagination)– वह कल्पना जिसके आधार पर अभौतिक वस्तुओं का निर्माण करता है; जैसे – कविता लिखना, कहानी लिखना आदि। 4 / 10 4. चिन्तन को प्रभावित करने वाले कारक हैं– सशक्त प्रेरणा व बुद्धि प्रत्यय, ध्यान तथा रुचि भाषा, सतर्कता व लचीलापन उपर्युक्त सभी Solution – चिन्तन को प्रभावित करने वाले कारक – – सशक्त प्रेरणा – बुद्धि – प्रत्यय, ध्यान तथा रुचि – भाषा – सतर्कता व लचीलापन 5 / 10 5. चिन्तन का साधन है– प्रतिबोधन तथा प्रतिमा प्रत्यय तथा भाषा संकेत तथा सूत्र उपर्युक्त सभी Solution – चिन्तन के साधन – – बिम्ब या प्रतिमा – प्रत्यय तथा भाषा – संकेत एवं सूत्र – प्रतिबोधन 6 / 10 6. सबसे उच्च प्रकार का चिन्तन किसे माना जाता है? प्रत्यक्षात्मक चिन्तन प्रत्ययात्मक चिन्तन काल्पनिक चिन्तन तार्किक चिन्तन Solution – तार्किक चिंतन– लगभग 9-11वर्ष की आयु में बालक में तार्किक चिंतन की शुरुआत होने लगती है। – जॉन डीवी ने तार्किक चिंतन को विचारात्मक चिंतन कहा। – तार्किक चिन्तन सबसे उच्च प्रकार का चिन्तन माना जाता है। 7 / 10 7. किस चिन्तन में व्यक्ति किसी घटना, तथ्य अथवा वस्तु की सच्चाई स्वीकार करने से पहले उसके गुण–दोष की परख कर लेता है? सृजनात्मक चिन्तन आलोचनात्मक चिन्तन स्वली चिन्तन अभिसारी चिन्तन Solution – आलोचनात्मक/विश्लेषणात्मक चिन्तन– इस प्रकार के चिन्तन में व्यक्ति किसी वस्तु, घटना या तथ्य की सच्चाई को स्वीकार करने से पहले उसके गुण-दोष की समीक्षा करता है। क्या सही है, क्या गलत है, क्या करना चाहिए, क्या नहीं आदि को समझते हुए विचार अभिव्यक्त करता है। यह सर्वोच्च प्रकार का चिन्तन है। 8 / 10 8. भाषाई सापेक्षता प्राक्कल्पना दृष्टिकोण का संबंध है- वाइगोत्सकी बेंजामिन ली व्होर्फ जीन पियाजे ए.डी. कार्वे Solution – बेंजामिन ली व्होर्फ का मत यह था कि भाषा विचार की अंतर्वस्तु का निर्धारण करती है। यह दृष्टिकोण भाषाई सापेक्षता प्राक्कल्पना के नाम से जाना जाता है। 9 / 10 9. किस प्रकार के चिन्तन को मनोवैज्ञानिकों ने विवेचन अथवा तर्कणा कहा है? स्वली चिन्तन यथार्थवादी चिन्तन 1 व 2 दोनों उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution – यथार्थवादी चिंतन (Realistic Thinking)– यह सत्य, वास्तविक होता है। इससे व्यक्ति किसी समस्या का समाधान करता है अर्थात् इसमें सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होती है। – यथार्थवादी चिन्तन को मनोवैज्ञानिकों ने विवेचन अथवा तर्कणा कहा है। – यथार्थ चिंतन 3 प्रकार का होता है- (i)अभिसारी/मूर्त/निगमनात्मक चिंतन (केन्द्रित/संकुचित) (ii)अपसारी/अमूर्त/आगमनात्मक/सृजनशील चिंतन (पार्श्व/लेट्रल) (iii) आलोचनात्मक/विश्लेषणात्मक चिंतन 10 / 10 10. किस प्रकार के चिंतन को ‘ब्रूनर ने प्रभावी आश्चर्य’ कहा है? सृजनात्मक चिंतन स्वली चिंतन अभिसारी चिंतन उपर्युक्त में से कोई नहीं Solution – अपसारी/अमूर्त/आगमनात्मक/सृजनात्मक चिन्तन– इसमें व्यक्ति दिए गए तथ्यों में अपनी ओर से नया तथ्य जोड़कर एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचता है। जब तक व्यक्ति अपनी ओर से नए तथ्यों का सर्जन (Create) नहीं करता, समस्या का समाधान नहीं हो पाता है। इसमें व्यक्ति अमूर्त परिस्थितियों को भी समझ सकता है। इसे मौलिक चिन्तन भी कहते हैं। – ब्रूनर “सृजनात्मक चिंतन” को प्रभावी आश्चर्य कहते हैं। – इस चिंतन को एडवर्ड डी बोनो ने पार्श्विक चिंतन कहा। – इस चिंतन द्वारा जिस समस्या का समाधान होता है, उसका कोई एक निश्चित उत्तर नहीं होता है। Your score is 0% पुनः प्रारम्भ करे आपको यह क्विज कैसी लगी ….रेटिंग दे | धन्यवाद 😍 👇👇 Send feedback फ्री टेस्ट , नोट्स और अपडेट के लिए Join करे 👇👇 Join WhatsApp Join Now Join Telegram Join Now